संदेश

जून, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Improving Air Quality with Mystified Water(South Korea)

चित्र

माँ का साया (एक माँ जो अपने बेटी से बहुत प्यार करती थी, एक गलती की वज़ह से अपनी जान गवाँ बैठती है । जब बेटी पुकारती है तो वापस आ जाती है । जानिए माँ की गलती की थी ?)प्रतिलिपि से डिजिटल लेटर प्राप्त कहानी)(

चित्र
  (माँ दिवस विशेष )  एक ऐसी दर्दनाक सड़क दुर्घटना जिसने रमन के परिवार को चिर कालीन मायूसी में धकेल दिया । रमन और उनकी बीवी लीला अपनी बेटी रिया का चौथा जन्मदिन होटल में मनाकर घर वापस आ रहे थे । लौटते समय अँधेरा काफ़ी था । गाड़ी के सामने अचानक नीलगाय आ गयी और रमन गाड़ी का नियंत्रण खो बैठे । गाड़ी सड़क के किनारे एक पीपल के पेड़ में जा टकरायी । काश लीला ने अपने पति की बात मान ली होती । सीट बेल्ट लगा लिया होता तो बच जाती । वो हमेशा सीट बेल्ट को मज़ाक में लेती थी और उसको लगाने में अपनी सजावट की तौहीन समझती थी । उस रात रमन सीट बेल्ट हमेशा की तरह लगाये रखे थे । एअरबैग के समय पर फटने की वज़ह से बाल-बाल बच गये । रमन इस मंज़र को समझते और ख़ुद को सम्हालते कि उनकी नज़र उनकी धर्मपत्नी पर गयी । लीला अपनी सीट पर नहीं थीं । कार का सामने वाला काँच एकदम ध्वस्त हो चुका था, उसमे एक बड़ा गोलाकार छेद था । पीछे सीट पर रिया पहले से ही सोयी थी । अब भी कुछ नहीं बोल रही थी । अपने पापा की तरह रिया हमेशा कार में सीट बेल्ट लगाये रखती थी, चाहे वो आगे बैठे या पीछे । रमन होंश सम्हालते हुए कार का दरवाजा खोलकर बाहर निकला

हवा को नज़र लगी है

चित्र
सादर प्रणाम ! (आजकल साँस लेने में भी कठिनाई है। यह किसी रोग की वज़ह से नहीं है, बल्कि हवा के दूषित और संक्रमित होने के कारण है। हवा का ये हाल क्यों है ?, ये हम सब जानते हैं। प्रस्तुत हैं हवा को समर्पित कुछ लाइने:) लगता है, हवा को किसी की नज़र लगी है, तभी तो फ़िज़ा में ज़हर घुली हुई है ।  जो देख पता, काला टीका लगाता।  गर रूठी हो, कर जोड़ मनाता।  भूख की आह से लोग ख़ानाबदोश तो होते थे । अब हवा की चाह वालों के नये शब्दकोष होंगे।  जब हवा मौत बनकर पीछे पड़ी है। कहाँ तक भागें ? मुश्किल बड़ी है। वहाँ तो पूतना बनी थी,  कहाँ तक संजीवनी बनी रहेगी?  ज़माने को नज़रबंद कर तू भी नज़र को तरसे। अब बसन्त में भी शुष्क पतझड़ की गूँज बरसे। सौंदर्य तेरा भी मायूस होगा जो तेरी सन्तान तड़पे। प्रकृति! पत्ती अगर सुलगे तो पेड़ भी ज़रूर झुलसे। बदले का कालचक्र अन्तहीन होता है। लहरें लील कर सिंधु भी ग़मगीन होता है। -नवीन  फोटो साभार :The Hindu (news) 

गठरी वापसी (इंद्रदेव चाचा अपने एहसान के बदले में क्या माँग लेते हैं? क्या वो अपने होश में माँगते हैं? सरिता की शक्ति रूपेण माँ से मिलिए...)

चित्र
झूठ बोलना एक बात है, उसको पचा जाना एक कला। जो रोटी की जंग में धुनि रमाए रहते हैं, उनकी आँतें इस कला में कमज़ोर होती हैं। अनपच हो ही जाता है। वे छोटा सा भी झूठ बोलकर पश्चाताप की अग्नि में दहकते रहते हैं। सरिता के पिता के साथ भी यही हुआ। उस दिन सरिता और उसकी माँ से बोला हुआ झूठ कोई छोटा नहीं था। इस झूठ से वो बेटी की लाज को समय के साहूकार को गिरवी रख आए थे। समय ने क्या छुपा रखा है, उसकी कल्पना और प्रार्थना मात्र की जा सकती है। वो अपने इस कृत्य के कारण तपने लगे। रातों की नींद उड़ गई। दिन में आँखें लाल रहने लगी। वो खोये-खोये से, बेसुध होते गए। हरदम मन में वही बात मथती रहती थी। वो दिन-रात उस एक एहसान के भवसागर को पारकर इंद्रदेव चाचा के पास जाने की हिम्मत जुटाने में लगे रहे। सरिता की माँ कक्षाएँ कम जा पाईं थीं, लेकिन चेहरे पढ़ने में माहिर थीं। उन्होंने सरिता के पिता की मनः स्थिति को भाँप लिया। वो पति से बात करने का मौका ढूँढने में लग गईं। एक दिन जब सूरज दिन भर दहककर धरती की आँखों से ओझल होता जा रहा था। संध्या की बेला। आसमान में सूरज की सुनहरी किरणें नील-गगन में मिलकर नीलिमा और लालिमा के बीच अनंत

Two Months of Korean Weekend Farming

चित्र

याद: उदय प्रताप कॉलेज

चित्र
सादर प्रणाम,  भाई का रिश्ता दो तरह से मिलता है:एक सहोदर और दूसरा जो यू.पी. कॉलेज में बनता है। पहला वाला, सब लोग जानते हैं, समय के साथ खट्टे-मीठे होते रहते हैं, लेकिन यू.पी. कॉलेज वाला जितना अधिक पुराना हो, उतना ही अधिक मीठा होता जाता है और उतना ही अधिक मादक भी । इस प्रांगण में देव रूप शिक्षक हैं जो कि माटी के लोगों को भी गगन चुम्बीय पर लगा देते हैं । 'गुरुर्ब्रम्हा' यहाँ चरितार्थ होता है।  मैं, नवीन, चन्दौली जिले के गाँव नाथुपुर का हूँ। १९९९-२००३ के दौरान उस विद्यालय ने मेरे भविष्य को आयाम दिया।  BH 9 और BH -4 में २-२ साल।  मेरे जीवन में यू.पी. कॉलेज का आना एक ईश्वरीय वरदान था। २००३ में इण्टर पास करने के बाद २००४ में HBTI, कानपुर से इंजीनियरिंग में स्नातक किया। २००८ से  प्राइवेट कंपनियों में नौकरी के क्रम में BASF, Tata Motors और GM India में २०१६  तक काम किया। क़िस्मत मेहबान हुई और मेरा GM दक्षिण कोरिया में ट्रांसफर हो गया। फ़िलहाल, यहीं पर दाना-पानी चल रहा है।  आज यादों का झरोखा BH 9 की ओर खुला है। BH:4 फिर कभी।  मैं BH -९ के कमरा न.-२ में दिग्विजय का रुम पार्टनर था। कुछ ऐसी पर

कोरोना कमज़ोर नहीं हुआ है, न तो हम मज़बूत। बहादुरी में न फसें।

चित्र
सादर प्रणाम,  कोरोना का दौर ऐसा चला कि बड़े लोगों से दोहरी बातें करा दिया। समस्या एक ही थी, लेकिन समय के साथ उसकी परिभाषाएँ-विशेषताएँ अलग होती दिख रही हैं। उसका अलग असर बताया जा रहा है।  कुछ तथ्य: १.  सारे नेता, अभिनेता, २४ मार्च २०२०  संक्रमित व्यक्तियों की संख्या :519 (ज़ी न्यूज़, साभार) प्रथम लॉकडाउन :घर में रहिये, बहुत ख़तरनाक है।  आज, १३ जून २०२०  संक्रमित व्यक्तियों की संख्या :2,97,535  (ज़ी न्यूज़, साभार) #braveoutcorona, अगर हो भी गया तो कुछ नहीं होगा। बाहर निकलिए। ये वाला प्रचार-प्रसार घातक सिद्ध हो सकता है। जहाँ मैं हूँ, वहाँ पर इससे जंग जारी है, लेकिन कभी इसके ख़िलाफ़ ललकार वाली कैंपेन नहीं देखा हूँ।  इस दौरान कोरोना कमज़ोर हुआ हो या लोगों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ गई हो? २. आर्थिक स्तिथि बाहर निकले पर मजबूर कर रही थी, एकदम सही है, लेकिन न्यूनतम साधन के साथ बाहर निकलना चाहिए -N95 मास्क + २ मीटर की दूरी। इतनी बड़ी संख्या में मास्क सुलभ कराने का दायित्व सरकार पर ही है। मास्क मैन्युफैक्चरिंग, सप्लाई चैन, मुफ़्त या सब्सिडी,इत्यादि। ३. सरकार ने इस बिमारी को भारत में न आने के लिए बहुत सराहनीय क

माँ का साया (प्रतिलिपि से डिजिटल लेटर प्राप्त कहानी)

चित्र
(माँ दिवस विशेष ) Art:Sooraj Thatiote, Designer  एक ऐसी दर्दनाक सड़क दुर्घटना जिसने रमन के परिवार को चिर कालीन मायूसी में धकेल दिया । रमन और उनकी बीवी लीला अपनी बेटी रिया का चौथा जन्मदिन होटल में मनाकर घर वापस आ रहे थे । लौटते समय अँधेरा काफ़ी था । गाड़ी के सामने अचानक नीलगाय आ गयी और रमन गाड़ी का नियंत्रण खो बैठे । गाड़ी सड़क के किनारे एक पीपल के पेड़ में जा टकरायी । काश लीला ने अपने पति की बात मान ली होती । सीट बेल्ट लगा लिया होता तो बच जाती । वो हमेशा सीट बेल्ट को मज़ाक में लेती थी और उसको लगाने में अपनी सजावट की तौहीन समझती थी । उस रात रमन सीट बेल्ट हमेशा की तरह लगाये रखे थे । एअरबैग के समय पर फटने की वज़ह से बाल-बाल बच गये । रमन इस मंज़र को समझते और ख़ुद को सम्हालते कि उनकी नज़र उनकी धर्मपत्नी पर गयी । लीला अपनी सीट पर नहीं थीं । कार का सामने वाला काँच एकदम ध्वस्त हो चुका था, उसमे एक बड़ा गोलाकार छेद था । पीछे सीट पर रिया पहले से ही सोयी थी । अब भी कुछ नहीं बोल रही थी । अपने पापा की तरह रिया हमेशा कार में सीट बेल्ट लगाये रखती थी, चाहे वो आगे बैठे या पीछे । रमन होंश सम्हालते हुए का

The Horse Goes To A New Place

चित्र
The family of animals were living happily till some changes happened. The herd consisted of a cow, two oxen, a buffalo, a goat and a dog. They were living comfortably at one place and taken care well by the farmer. One day the farmer made arrangements for one more animal. An extra feeding pot was put in the same tin shade. This made goat feel very upset, " For whom are the new things ? We are already crammed in this narrow space.  We are barely managing with available things and the newcomer will draw from our own things. The member will squeeze us further." Cow, smilingly, " Dear goat, why do you worry?  You are relatively small and you can adjust anywhere. I am okay with the new member because our family is going to be bigger . This means a lot more fun." Buffalo," I don`t care about any one coming or going. Nevertheless, there should not be any compromise in my food. I,m sorry, I cannot share my food with anyone. While grazing in the field, each one will get

घोड़े की नई जगह

चित्र
एक गाय, दो बैल, एक भैंस, एक बकरी और एक कुत्ता द्वार पर पशुशाला में आराम से रहते थे। एक दिन उनके मालिक ने एक नया खूँटा गाड़ दिया। उनकी शेड में ही एक घोड़े की नाद की व्यवस्था कर दी। बकरी बहुत बेचैन हो गई, "अरे ये नया खूँटा क्यों ? पहले ही यहाँ पर इतनी कम जगह है, जैसे-तैसे गुज़ारा होता है, अब एक और क्यों ले आ रहे हैं?  गाय, "अरे तुम्हें क्या दिक्कत है? तुम तो कहीं भी आ सकती हो। हमें एक और सदस्य मिलेगा, अच्छा मनोरंजन होगा।" भैंस, "मुझे किसी के आने-जाने से कोई फ़र्क नहीं पड़ता,  बस मेरे खाने में कटौती नहीं होनी चाहिए। खेत में चरते समय तो सब अपना-अपना ही चरेंगे। दोनों बैल चुप थे. उनमें से एक को बकरी की बात सही लग रही थी। उसने अपना दिमाग़ प्रयोग नहीं किया।  कुत्ता चुपचाप इनकी बातें सुन रहा था। उसको उसका काम बढ़ता दिख रहा था। कुछ दिनों बाद मालिक एक सुन्दर, बलवान घोड़ा लेकर आए और उस नये खूँटे पर बाँध दिए।  बकरी आग बबूला हो गई, नाक मुँह चमकाने लगी ।  घोड़ा नयी जगह देखकर बड़ा आश्चर्य में था। नये चेहरों को समझने की कोशिश कर रहा था । उसको उसकी माँ की बहुत याद आ रही थी।  बकरी सब जानवरों को