घोड़े की नई जगह

एक गाय, दो बैल, एक भैंस, एक बकरी और एक कुत्ता द्वार पर पशुशाला में आराम से रहते थे।

एक दिन उनके मालिक ने एक नया खूँटा गाड़ दिया। उनकी शेड में ही एक घोड़े की नाद की व्यवस्था कर दी।

बकरी बहुत बेचैन हो गई, "अरे ये नया खूँटा क्यों ? पहले ही यहाँ पर इतनी कम जगह है, जैसे-तैसे गुज़ारा होता है, अब एक और क्यों ले आ रहे हैं? 

गाय, "अरे तुम्हें क्या दिक्कत है? तुम तो कहीं भी आ सकती हो। हमें एक और सदस्य मिलेगा, अच्छा मनोरंजन होगा।"

भैंस, "मुझे किसी के आने-जाने से कोई फ़र्क नहीं पड़ता,  बस मेरे खाने में कटौती नहीं होनी चाहिए। खेत में चरते समय तो सब अपना-अपना ही चरेंगे।

दोनों बैल चुप थे. उनमें से एक को बकरी की बात सही लग रही थी। उसने अपना दिमाग़ प्रयोग नहीं किया। 

कुत्ता चुपचाप इनकी बातें सुन रहा था। उसको उसका काम बढ़ता दिख रहा था।

कुछ दिनों बाद मालिक एक सुन्दर, बलवान घोड़ा लेकर आए और उस नये खूँटे पर बाँध दिए। 

बकरी आग बबूला हो गई, नाक मुँह चमकाने लगी । 

घोड़ा नयी जगह देखकर बड़ा आश्चर्य में था। नये चेहरों को समझने की कोशिश कर रहा था । उसको उसकी माँ की बहुत याद आ रही थी। 

बकरी सब जानवरों को नये सदस्य के ख़िलाफ़ भड़काया करती थी। उसकी बातों में आकर बैल और भैंस हमेशा घोड़े को सींघ मारने का प्रयास करते थे । आँखें दिखाते रहते थे। उसको डराकर रखना चाहते थे। बकरी हमेशा घोड़े के आगे-पीछे मँडराते हुए चिढ़ाती रहती थी। उसके अलग चेहरे को लेकर टिप्पड़ियाँ किया करती थी। 

जब भी सब चरने जाया करते थे तो सब एक साथ चरते थे, घोड़े को हमेशा अकेले चरना पड़ता था। बकरी किसी को घोड़े के पास न जाने के लिए बोलती रहती थी। इन सबके झगड़े में कुत्ते को इनको चराने में मेहनत ज़्यादा करनी पड़ती थी। वो कभी इधर-भागे कभी उधर। 

तालाब में नहाते समय भी सारे लोग एक साथ नहाते थे, घोड़े को सबसे दूर एक अलग जगह नहाना पड़ता था।

घोड़ा काफ़ी बड़े परिवार से आया था तो उसको अकेले रहना बिलकुल अच्छा नहीं लगता था। हरदम अपनी माँ को याद करता रहता था। वो बहुत उदास रहने लगा।  

एक दिन मालिक को घोड़े को चना खिलाते हुए बकरी देख ली । बकरी को लगता है कि मालिक घोड़े को सब जानवरों से ज़्यादा मानता है। उसने चने वाली बात सब जानवरों को बताई। सारे जानवर घोड़े से नाराज़ रहने लगे। पहले से और दूरी बढ़ा दिए। घोड़े को अकेला और दुःखी देखकर गाय का दिल पसीज गया और गाय सब जानवरों से बोली,

"घोड़े के साथ हम सब लोगों का व्यवहार ठीक नहीं है, आख़िर वो भी तो किसी का बच्चा है। अब ये सब बंद करो और अब सब लोग साथ-साथ चरेंगे, नहायेंगे और बातें करेंगे।"

अगले दिन चने वाली बात से नाराज़ बैल, भैंस और बकरी मिलकर खेत में चरते समय घोड़े को बहुत मारते हैं। घोड़ा झगड़ा नहीं करता है। वहाँ से भागकर सीधे अपनी माँ के पास गया और सारी बातें बताया।

उसकी माँ,

"बेटा, किसी भी नई जगह जाने पर अनुकूलन में थोड़ी-बहुत दिक्क़तें तो आती ही हैं। मैं भी यहाँ आई थी तो कुछ दिन आसान नहीं था। वहाँ पर तुम्हे ही प्रयास करना पड़ेगा।समस्या से घबराकर भागने से काम नहीं चलेगा। आज जो तुम्हारे ख़िलाफ़ हैं, कल उतने ही अच्छे दोस्त बनेंगे। तुम बस धैर्य बनाये रखना।" 

घोड़ा,"माँ, लेकिन वहाँ सारे मुझे पसंद नहीं करते हैं। "

माँ,"ध्यान से देखना, वहाँ अच्छे लोग अधिक होंगे। हर जगह कुछ चिढ़ाने वाले लोग भी रहते हैं। तुम अच्छे लोगों को ढूँढो।"

घोड़ा,"बकरी बहुत चिढ़ाती है, मन करता है कि पैर उठा ही दूँ।"

माँ, " नहीं बेटा, जो परेशान करे, उसके साथ भी प्यार का ही व्यवहार करना। उसको पछतावा अवश्य होगा और वो एक-न-एक दिन तुम्हारा अच्छा दोस्त ज़रूर बनेगा।"

घोड़ा, "नहीं, बकरी दूसरों को भी बहुत भड़काती है, वो नहीं मान सकती है। घृणा करना उसके स्वाभाव में है।"

माँ, "घृणा और ईर्ष्या अस्थायी स्वभाव होता है। तुम अपना व्यवहार और नियत सही रखना, वो तुमसे प्यार का बर्ताव ज़रूर करेगी। आगे चलकर वो तुम्हारी अच्छी दोस्त बनेगी।"

माँ की बातों को अच्छे से याद करके घोड़ा अपने घर वापस आ गया। अब वो बकरी और दूसरों के व्यवहार का थोड़ा भी बुरा नहीं मानता था। दूसरों के प्रति अपने दिल में भी कुछ बुरा नहीं सोचता था। 

समय बीतता गया। बकरी घोड़े पर अपने चिढ़ाने का कोई असर न देखकर स्वयं परेशान रहने लगी। उधर गाय भी लगातार बकरी को उसकी ग़लती का एहसास कराती रहती थी। इन दोनों कारणों से बकरी का मन बदल गया और उसको अपने किये पर पछतावा होने लगा। अगले दिन बकरी खेत में अकेले चरते हुए घोड़े के पास गई और क्षमा माँगते हुए बोली,

"तुम मुझसे अधिक बलवान और बुद्धिमान हो, फिर भी तुमने कभी अपना बल-कौशल नहीं दिखाया। चुपचाप हमारे अत्याचारों को क्यों सहते रहे?"

घोड़ा, "मेरी माँ सही ही बोलती है, प्यार से हर किसी का हृदय जीता जा सकता है। बलपूर्वक तो सम्बन्ध नहीं बनते हैं, केवल समझौते होते हैं। ये समझौता समय और बल के आधार पर बनते-बिगड़ते हैं, लेकिन प्यार से बने रिश्ते हमेशा साथ रहते हैं। तुम अपने किये की चिंता मत करना। ये मेरी परीक्षा थी, जिसमें मैं पास हो गया। 

अब घोड़ा सबके साथ चरता था। 


सबके साथ नहाता था।

कभी-कभी तो बकरी में खा भी लेता था। 

कुत्ता बहुत खुश था, उसका काम आसान जो हो गया था। 

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आपकी समीक्षा की आशा में... 

-नवीन 

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