संदेश

मार्च, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

गुलाल में बसा ग़ुलाब हो, इंद्रधनुष औ’ आफ़ताब हो।

चित्र
दम्भ का होलिका में दाह दिया, होली में अपना मय भी पार किया। सब बिसरा देने की भाँग चढ़ाया, अपना भी, अपनों का भी मान बढ़ाया। रंग भरा हो हर छोर में,  संग रंग हो मन-मोर में, गुलाल में बसा ग़ुलाब हो, इंद्रधनुष औ’ आफ़ताब हो। आँख मूँदो और देखो, हर हृदय हरियाली है। सूखी दूब नमी जोहती है, उभरती, सजाती धरती है। होली परीक्षा है, बस इतना साहस रखना, बढ़े यदि क़दम उनका, दौड़कर बाँह में भरना। कोरे पानी में प्रेम का रंग घोल दो, कोरे काग़ज़ पे नई कहानी बोल दो। जुटे पंछी जब घोंसले पर, पंख के सबको नव बल मिले। उड़ें फिर दाना चुगने जब, रिश्ते हों ताज़े सिले-सिले। उम्र कितनी ही भारी हो, मन इतना हल्का रखना, रंग उड़े जब कहीं आज, दिल में दबा तहलका रखना।

डॉ. धीरेंद्र सिंह को समर्पित कविता

चित्र
कांति ढूँढना हो,  झाँको इन संत की मूर्ति में, नैसर्गिक ओज की धारा है,  सर की स्फूर्ति में। चेहरे के पीछे बसते धवल कीर्ति के पुंज हैं, ब्रम्हाण्ड चमकाता जो सूरज, उन्हीं रसायनों के कुंज हैं। किताबों में ही मिलता नहीं दया-दान का आचरण है, धरती पे जीता-जागता धीरेंद्र सर का उदाहरण है। कथनी नहीं, करनी ही बतलाती चरित्र है, शीशे-सा पारदर्शी निर्मल यह व्यक्तित्व है। रोम-रोम में ईमान बसा, हर रंग परमार्थी का है, सबको भरती ख़ुद भी तरती, स्वभाव भागीरथी का है। यदि जीवन कुम्हलाया हो, छिड़क लो मधुर मुस्कान ज़रा, सूखे पत्ते भी जीवंत हो उठते, सानिध्य अजर सोम भरा। जिनका जीवन कर्म-धर्म-मर्म का दर्पण है, धीरेंद्र गुरुवर को कविता-पुष्प का अर्पण है। आपके द्वारा बनाए गए हज़ारों शिष्यों में से एक...

ये शहर बनारस है

चित्र
ये शहर बनारस है: सृष्टि का उद्गम है, जीवन-मरन है, तप-ताप  है, जप-जाप है। ये शहर बनारस है... मौजों की फ़ौज है, कोना-कोना नई खोज है। मुँह खुले तो नज़्म है। नसीहत हर लब्ज़ है। ये शहर बनारस है... जहाँ धूल भी चंदन है, समान रूप में सबका अभिनंदन है। बेघरों की भी ठाठ है, गंगा के ऐसे घाट हैं। ज्ञानों की खान है, इश्क़ बाँटो, पैग़ाम है। जहाँ कोने-कोने में ख़ुशियाँ बसती हैं, हर क्षण मन में भरी मौज-मस्ती है। x

गुरु प्रेम जी का वंदन 🙏🏽।

चित्र
प्रेम जिनका नाम है, प्रेम ही हर पैग़ाम है। घड़ी   की   सुई   जिनसे   मिलाती   है , जिनकी   चाल   ही   घड़ी   चलाती   है। विज्ञान ,  विज्ञान   नहीं   कला   बन   जाती   है , जब  ‘ प्रेम ’  वाणी   में   भौतिकी   हो   जाती   है। छात्र   हृदय   में   गुरु   नाम   एक   ताज   है , उस   ताज   पे  ‘ प्रेम ’  गुरु   का   राज   है। जिनके   लिए   पाठन   ही   पूजा   है , छात्र   निर्माण - सा   धर्म   नहीं   दूजा   है। एकाग्रता   भी   एकाग्र   हो   जाती   है , काया   कक्षा   में   जब   आ   जाती   है। नटखटता   को   बाँधता   यह   अनोखा   चुम्बकत्व   है , पेंडुलम   मन   को   आयाम   दें ,  निराला   व्यक्तित्व   है। मुस्कान  उ ष्मा   को   भी   चंदन   कर   दे , कलम   उन   गुरु  प्रेम जी  का   वंदन   कर   दे। हम सभी छात्र आपके सुनहरे, स्वस्थ जीवन की मंगल कामना करते हैं। चरण स्पर्श, हज़ारों शिष्य

महिला सशक्तिकरण: Kindness Begins @HOME

चित्र
सादर प्रणाम,  महिला दिवस की सभी को ढेरों बधाइयाँ! आप पहले से ही इस विषय पर काफ़ी जानते होंगे, फिर भी दोहराने में क्या जाता है... बहुत फैलाकर नहीं लिख रहा हूँ, आप समझदार हैं; प्रसार कर लीजिएगा।  Kindness Begins @ HOME: जी हाँ! तो घर से ही महिलाओं को मज़बूती देना शुरु करें। बेटियों, बहुओं, पोतियों इत्यादि सम्बन्धों को नियंत्रित न करें, फ़्री हैंड दें। विवेकानंद जी ने कहा था, जो चीज़ स्वतंत्र होती है, ख़ूब तरक़्क़ी करती है। मार्गदर्शन करें, मार्ग-थोपन नहीं।  Kindness Begins @ WOMEN:  अक़्सर सम्मान देने का भार पुरुषों पर ही आता है, बहुत हद तक सही भी है। भरपाई होनी ही चाहिए। साथ ही महिलाएँ भी महिलाओं के सम्मान से शर्माएँ-संकोचें नहीं। कोताही न करें जी भर दें-लें। बहुत-सारी समस्याएँ ख़ुद-बख़ुद समाप्त हो जाएँगी। जो कमतर मानव बनाए, वो संस्कृति नहीं: कारण-संस्कृति मानव निर्मित है, मानव-हित के लिए बनी।  अबला: बलवान का विलोम, महिलाओं के कान में मंत्र-सा फूँका गया, और पीढ़ी-दर-पीढ़ी एक मिथक विश्वास में बदल गया। किसी को कमज़ोर करने का सबसे आसान तरीक़ा उसके आत्मविश्वास को तोड़ना है। इस प्रक्रिया मे