महिला सशक्तिकरण: Kindness Begins @HOME

सादर प्रणाम, 

महिला दिवस की सभी को ढेरों बधाइयाँ!

आप पहले से ही इस विषय पर काफ़ी जानते होंगे, फिर भी दोहराने में क्या जाता है...

बहुत फैलाकर नहीं लिख रहा हूँ, आप समझदार हैं; प्रसार कर लीजिएगा। 

Kindness Begins @ HOME:

जी हाँ! तो घर से ही महिलाओं को मज़बूती देना शुरु करें। बेटियों, बहुओं, पोतियों इत्यादि सम्बन्धों को नियंत्रित न करें, फ़्री हैंड दें। विवेकानंद जी ने कहा था, जो चीज़ स्वतंत्र होती है, ख़ूब तरक़्क़ी करती है। मार्गदर्शन करें, मार्ग-थोपन नहीं। 

Kindness Begins @ WOMEN:

 अक़्सर सम्मान देने का भार पुरुषों पर ही आता है, बहुत हद तक सही भी है। भरपाई होनी ही चाहिए। साथ ही महिलाएँ भी महिलाओं के सम्मान से शर्माएँ-संकोचें नहीं। कोताही न करें जी भर दें-लें। बहुत-सारी समस्याएँ ख़ुद-बख़ुद समाप्त हो जाएँगी।

जो कमतर मानव बनाए, वो संस्कृति नहीं:

कारण-संस्कृति मानव निर्मित है, मानव-हित के लिए बनी। 

अबला: बलवान का विलोम, महिलाओं के कान में मंत्र-सा फूँका गया, और पीढ़ी-दर-पीढ़ी एक मिथक विश्वास में बदल गया। किसी को कमज़ोर करने का सबसे आसान तरीक़ा उसके आत्मविश्वास को तोड़ना है। इस प्रक्रिया में समय ख़ूब लगता है, लेकिन परिणाम स्थायी तो नहीं, चिरकालीन ज़रूर होते हैं। 
इस शब्द का पोस्टमॉर्टम करें, तो यह एक रावणबाण है। रामबाण का विलोम! शुरुआती दौर में शायद इसका सीधा मतलब रहा हो-मांसपेशियों की क्षमता से, लेकिन इस रावणबाण का असर दशानन की तरह महिलाओं की तार्किक, कौशल, आर्थिक, स्वालम्बी, स्वैच्छिक शक्तियों को भी पंगु बनाता चला गया। 'अबला' शब्द की बला को साफ़ कर दें, तो भी काफ़ी बलाएँ दूर हो सकती हैं। यह शब्द दोमुहें सर्प जैसा है: एक कमज़ोर महसूस कराता और दुसरे को बलवान। मेरी जानकारी वाली अंग्रेज़ी और कोरियन भाषाओं में इतना छोटा और घातक शब्द नहीं है। 
पावरफुल (Powerful) बनाने से अधिक ज़रूरी है- पॉवरलेस (Powerless) महसूस कराना बंद करना

सादर प्रणाम 
आपका


काशी की कलम से, 


टिप्पणियाँ

  1. सुंदर व्याख्या, कहीं न कहीं हम अपने को दूसरे से ऊपर दिखाने में अपने ही लोगों खासकर महिलाओं को कमतर आंकते हैं। यह भूल जाते हैं कि उनके बिना आपके अस्तित्व का अर्थ नही है।

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  2. आदरणीय संजीव सर, सादर प्रणाम, आपके बहुमूल्य विचारों के लिए आभार 🙏🏽।

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