गुरु प्रेम जी का वंदन 🙏🏽।
प्रेम जिनका नाम है,
प्रेम ही हर पैग़ाम है।
घड़ी की सुई जिनसे मिलाती है,
जिनकी चाल ही घड़ी चलाती है।
विज्ञान, विज्ञान नहीं कला बन जाती है,
जब ‘प्रेम’ वाणी में भौतिकी हो जाती है।
छात्र हृदय में गुरु नाम एक ताज है,
उस ताज पे ‘प्रेम’ गुरु का राज है।
जिनके लिए पाठन ही पूजा है,
छात्र निर्माण-सा धर्म नहीं दूजा है।
एकाग्रता भी एकाग्र हो जाती है,
काया कक्षा में जब आ जाती है।
नटखटता को बाँधता यह अनोखा चुम्बकत्व है,
पेंडुलम मन को आयाम दें, निराला व्यक्तित्व है।
मुस्कान उष्मा को भी चंदन कर दे,
कलम उन गुरु प्रेम जी का वंदन कर दे।
हम सभी छात्र आपके सुनहरे, स्वस्थ जीवन की मंगल कामना करते हैं।
चरण स्पर्श,
हज़ारों शिष्य
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें