गुलाल में बसा ग़ुलाब हो, इंद्रधनुष औ’ आफ़ताब हो।




दम्भ का होलिका में दाह दिया,

होली में अपना मय भी पार किया।

सब बिसरा देने की भाँग चढ़ाया,

अपना भी, अपनों का भी मान बढ़ाया।


रंग भरा हो हर छोर में, 

संग रंग हो मन-मोर में,

गुलाल में बसा ग़ुलाब हो,

इंद्रधनुष औ’ आफ़ताब हो।


आँख मूँदो और देखो,

हर हृदय हरियाली है।

सूखी दूब नमी जोहती है,

उभरती, सजाती धरती है।


होली परीक्षा है, बस इतना साहस रखना,

बढ़े यदि क़दम उनका, दौड़कर बाँह में भरना।

कोरे पानी में प्रेम का रंग घोल दो,

कोरे काग़ज़ पे नई कहानी बोल दो।


जुटे पंछी जब घोंसले पर,

पंख के सबको नव बल मिले।

उड़ें फिर दाना चुगने जब,

रिश्ते हों ताज़े सिले-सिले।


उम्र कितनी ही भारी हो,

मन इतना हल्का रखना,

रंग उड़े जब कहीं आज,

दिल में दबा तहलका रखना।



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