ये शहर बनारस है

ये शहर बनारस है:
सृष्टि का उद्गम है,
जीवन-मरन है,
तप-ताप  है,
जप-जाप है।
ये शहर बनारस है...
मौजों की फ़ौज है,
कोना-कोना नई खोज है।
मुँह खुले तो नज़्म है।
नसीहत हर लब्ज़ है।
ये शहर बनारस है...
जहाँ धूल भी चंदन है,
समान रूप में सबका अभिनंदन है।
बेघरों की भी ठाठ है,
गंगा के ऐसे घाट हैं।
ज्ञानों की खान है,
इश्क़ बाँटो, पैग़ाम है।
जहाँ कोने-कोने में ख़ुशियाँ बसती हैं,
हर क्षण मन में भरी मौज-मस्ती है।


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