संदेश

मार्च, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

ऊँचाई का झोला

चित्र
  एक गाँव   में   दो   जिगरी   दोस्त   रहते   थे- बिक्रम औ र बुधई   ।  दोनों के प रिवारों की  आर्थिक स्थिति उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव जैसी विपरीत थी। बिक्रम  का ख़ानदान जितना ही धनी था, बुधई का परिवार उतना ही जरूरतमंद। लेकिन यह पर्वतीय पैसे की दीवार कभी भी इनके दोस्ती के बीच नहीं आई। हवेली के मान-सम्मान वाले दबाव के बावज़ूद भी बिक्रम ने कभी भी बुधई का साथ नहीं छोड़ा। समय बीतता गया। दोनो समय के समर में पकते गये। बिक्रम और धनी होता गया। बुधई के यहाँ भी पहले की तुलना में सम्पन्नता बढ़ती गयी। दिन-प्रतिदिन वो नई ऊँचाइयों को समरसता से चढ़ता गया। गाँव वालों को बुधई की चढ़ाई खटकने लगी। उनको शक हुआ कि बिक्रम के घर से बुधई या तो कुछ पाता है या फिर कुछ चुराता है। धीरे-धीरे ये बात पूरे गाँव में फैल गई। गाँव में लोग बड़े ही धनी होते हैं, समय के!उनका फुर्सत में रहना कई लोगों की फ़जीहत का कारण होता है। किसी घर की ख़बर फैलाने का आलम ये होता है कि अमुक के घर में खाने में नमक कम है, झट से पड़ोसी को पता चल जाता है। पड़ोसी इसी ख़बर की ताक में रहते हैं। लोग बुधई पर अनैतिक रूप से धन कमाने का सन्देह करने लगे। लोग

२१ दिन भारत की सहनशीलता की पुनर्परीक्षा

चित्र
प्रणाम !   ताजमहल ही भारत का अजूबा नहीं है। यहाँ की अरबों की जनसंख्या हमेशा विदेशी लोगों की उत्सुकता का कारण होती है। कैसे इतने सारे लोग एक झंडे के नीचे रह सकते हैं ?आज संकट के समय जब दुनिया की सर्वोच्च ताकतें घुटने टेकती  हुयी नज़र आ रहीं हैं, वहीं भारत के पास मौका है यह सिद्ध करने का कि दुनिया हमें केवल एक भावी बाजार के रूप में न देखे। केवल सस्ते मजदूर के रूप में न देखे, बल्कि ये देखे कि इस देश के सारे लोग अपनी-अपनी विविधताओं मनमुटावों की अनदेखी करते हुये एक साथ राष्ट्रहित के लिए खड़े हो सकते हैं। अभी तक यहीं देखने को मिल रहा है। सारे राज्य के मुखिया परस्पर राजनैतिक मतभेदों को त्यागकर केवल  एक मात्र लक्ष्य जन-रक्षा की धुनि रमाये हैं। अगर कोई सवाल करे कि इस संकट में क्या अच्छा दिख रहा है तो मेरा जवाब  होगा "एक जुट भारत ".   संकट की इस घड़ी में हर देश अपनी ताकत पर भरोसा किये पड़ा है। जिन देशों को अपने संसाधनों पर ज्यादा घमंड था, उनकी सारी शक्तियाँ बेबसी में कराह रही हैं । अति आत्मविश्वास के चक्कर में समस्या का गलत आकलन किये और आज पछता रहे होंगे। वो देश जो भी संसाधन संपन्न थे,

२१ दिन? दिनचर्या परिवर्तन एक समाधान

चित्र
प्रणाम, शुभ रामनवमी ! २१ दिन ? १४ घण्टे  के जनता कर्फ्यू के बाद मेरे गाँव में लोगों ने कहा कि ऊब गए हैं घर में रहकर। अब मुझे चिंता है कि २१ दिन में क्या हालत होगी। वैसे इस अभिव्यक्ति में बहुत ईमानदारी और नैसर्गिकता है क्योंकि गाँव में हर चीज का स्केल बड़ा होता है। जो कभी गाँव में नहीं रहे हैं उनके लिए इसके लिए यह 'स्केल' समझना थोड़ा कठिन होगा। हवा, पानी, जगह, सब इफरात में रहता है। और उससे ज्यादा होता है 'समय' जो इन प्राकृतिक संसाधनों का भरपूर आनंद लेने के लिये बहुत अहम है । तो जिसकी स्केल जितनी बड़ी है उनको आने वाले २१ दिन उतने ही कठिन लगेंगे। क्योकि हमेशा हम बाहर न जा पाने के कारण की चर्चा करते रहेंगे। कुछ चंद बातों को दिनभर दूसरे लोगों से दोहराते नहीं थकेंगे। बार-बार कोरोना सम्बंधित समाचार देखते रहेंगे। मोबाइल, कंप्यूटर पे आँखें फोडेंगे। इन सबसे उपजेगा तनाव और मानसिक अस्थिरता। इसका कारण है कि हमारा शरीर जो कि सालों साल की दिनचर्या , lifestyle में ढल चुका है, वो एकाएक आये इस परिवर्तन को स्वीकार नहीं करता है। और हमारे दिमाग और शरीर के बीच एक गुप्त जंग छिड़ जाती है। शरीर

कोरोना-19 :कोरिया के पाठ

चित्र
नमस्ते ! CORONA एक साथ पूरे विश्व में फैलने वाली महामारी नहीं है। चीन,कोरिया, ईरान, इटली और फिर सारा संसार धीरे-धीरे चपेट में आ रहा है। अतः जो भी देश पहले इस महामारी से जूझ रहे हैं उनसे उन देशों को सबक लेना चाहिये जहाँ पर अभी फैला नहीं है, लेकिन संभावना प्रबल है। क्योकि अकस्मात् उत्पन्न हुयी इस परिस्थिति से उन देशों ने जूझते हुए कुछ कलाएँ और हुनर सीख लिए हैं । ऐसा नहीं है कि इनके सारे कदम सही पड़े हों, कुछ गलतियाँ भी किये। सही गलती दोनों ही कुछ पाठ सिखाते हैं: १ .व्यवसाय की सार्वभौमिक प्रकृति -मौकापरस्ती : मुझे अभी तक लगता था कि कोरिया में ईमानदारी बहुत है। बात सही है। लेकिन इसमें से एक वर्ग विशेष को निकालने के बाद। व्यवसायी लोगों का ईमान पैसे के आगे यहाँ भी डोल गया। ऐसे समय ईमान का तराजू टेनी मारा जब कि एकदम अनअपेक्षित था। इस बीमारी की रोकथाम के लिये मास्क एक साधन माना जा रहा था। सारे लोग इस रक्षा कवच को लेना चाहते थे। मांग और आपूर्ति की दरार बढ़ती गयी और एकाएक खायी बन गयी। कुछ अवसरवादी पूंजीपतियों ने बाजार से मास्क खरीद लिए और उनको 5-7 गुना दामों में बेचा। इनका मास्क के धंधे

CORONA 19: Awareness & Prevention (Based on WHO Report)

चित्र
प्रणाम ! CORONA 19, जो कि अत्यंत संक्रामक है, के कुछ केस भारत में भी मिले हैं। मुझे आशंका है कि जागरूकता के अभाव में इसको रोकने में कठिनाई आ सकती है।  मैं कोरिया में ग्राउंड जीरो से मिली सूचनाओं और WHO की एक रिपोर्ट के आधार पर कुछ बातें साझा करना चाहूँगा। अफ़वाह बहुत है क्योंकि सच में बहुत जानकारी है ही नहीं, शोध चल रही है। अतः ⚠⚠⚠⚠⚠⚠⚠⚠  अफवाहों से बचें  ⚠⚠⚠⚠⚠⚠⚠⚠   इसके रोकथाम के दो पहलू हैं , एक सरकार का प्रयास, दूसरा जनता की जागरूकता, सजगता।  यह लेख जनता की जागरूकता पर केंद्रित रहेगा ।  WHO के अनुसार नॉन-फार्मास्यूटिकल तरीकों के द्वारा इसकी रोकथाम में काफी मदद मिली है। उनकी तरीकों को इसमें वर्णन रहेगा।  मैं कोई चिकित्सक नहीं हूँ । ये सब कुछ WHO (वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन ) की एक रिपोर्ट  और कोरिया में उपलब्ध सार्वजनिक जानकारी पर आधारित है।   ये नये प्रकार का वायरस है और अभी तक कोई दवा नहीं बनी है।  लेकिन युद्धस्तर पर प्रयास चल रहा है जो कि आशा की किरण है । इस दौरान इसके बारे में अधिकतम उपलब्ध जानकारी, जैसे इससे संक्रमित होने पर लक्षण, संक्रमण (फैलने) का तरीका, बचाव के बार