कोरोना-19 :कोरिया के पाठ


नमस्ते !
CORONA एक साथ पूरे विश्व में फैलने वाली महामारी नहीं है। चीन,कोरिया, ईरान, इटली और फिर सारा संसार धीरे-धीरे चपेट में आ रहा है। अतः जो भी देश पहले इस महामारी से जूझ रहे हैं उनसे उन देशों को सबक लेना चाहिये जहाँ पर अभी फैला नहीं है, लेकिन संभावना प्रबल है। क्योकि अकस्मात् उत्पन्न हुयी इस परिस्थिति से उन देशों ने जूझते हुए कुछ कलाएँ और हुनर सीख लिए हैं । ऐसा नहीं है कि इनके सारे कदम सही पड़े हों, कुछ गलतियाँ भी किये। सही गलती दोनों ही कुछ पाठ सिखाते हैं:

१ .व्यवसाय की सार्वभौमिक प्रकृति -मौकापरस्ती :
मुझे अभी तक लगता था कि कोरिया में ईमानदारी बहुत है। बात सही है। लेकिन इसमें से एक वर्ग विशेष को निकालने के बाद। व्यवसायी लोगों का ईमान पैसे के आगे यहाँ भी डोल गया। ऐसे समय ईमान का तराजू टेनी मारा जब कि एकदम अनअपेक्षित था। इस बीमारी की रोकथाम के लिये मास्क एक साधन माना जा रहा था। सारे लोग इस रक्षा कवच को लेना चाहते थे। मांग और आपूर्ति की दरार बढ़ती गयी और एकाएक खायी बन गयी। कुछ अवसरवादी पूंजीपतियों ने बाजार से मास्क खरीद लिए और उनको 5-7 गुना दामों में बेचा। इनका मास्क के धंधे से कोई लेना देना नहीं था। एक मास्क के धंधे वाले ने बढ़ती मांग को देखकर सामान्य आपूर्ति को रोक दी। अपना सारा मास्क अपने बेटे की कंपनी के नाम से १०-१२ गुना दाम पर बेचा। स्वयं मैंने ५ गुना दाम दिया मास्क का। 
   शुरू में सरकार ने गांधारी वाली पट्टी बांध ली थी। लेकिन यहाँ देश छोटा है, लेकिन देशवासी सजग रहते हैं। गलत बात पर सब मिलकर इतना हल्ला करते हैं कि सरकार के कान का पर्दा काँप जाता है। सरकार ने अपनी गलती का संज्ञान लेते हुये मास्क कि नियमित आपूर्ति के लिए वर्तमान कारखानों में २४ x ७ उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया। सबको मास्क मिल सके इसके लिए जमाखोरी रोकने के लिए प्रति सप्ताह प्रति व्यक्ति २ मास्क की सीमा निर्धारित कर दी। जो आकाशीय पिंड की तरह रातोरात नए कारोबारी गिरे थे उनकी जांच चल रही है। और यहाँ की कानून व्यवस्था ऐसी है की दो भूतपूर्व राष्ट्रपति भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में हैं।

तो मेरा अनुरोध सरकार और साहूकार दोनों से है। 
सरकार जल्द से जल्द कार्यवाही करे ताकि लोगों को जरूरत की चीजें उपलब्ध हों और नयी इनोवेटिव कंपनियों पर लगाम और लगन दोनों लगे।

साहूकारों को सन्देश है कि अंजाम देख लीजिये और हतोत्साहित हो जाइये।

२. जिसको लक्षण आये हाँथ उठाये :
जी हाँ, अगर लक्षण हों तो उसका शंका समाधान करायें। उसको खुद से न छिपायें। क्योकि इससे आप खुद को और उससे कई गुना आपके संपर्क में आने वालों को हानि पहुंचा सकते हैं। आप का समय पर इलाज होने से जल्दी ठीक होने के आसार बढ़ेगा। ग्रसित आदमी कभी भी नहीं चाहेगा की वह अपने चाहने वाले लोगों के संक्रमण का कारण बने। और इस क्वारंटाइन/संगरोध से घबरायें नहीं। एक डर कम भ्रम ज्यादा होता है कि अगर ग्रसित हो गये तो -अलग रहना पड़ेगा, कहाँ रहना होगा , बचेंगे या नहीं इत्यादि। यह डर स्वाभाविक है। लेकिन इस डर को सही तथ्यों से मारिये। इससे ग्रसित चीन में ९७ % लोग लोग ठीक हो रहे हैं। संक्रमण मरण नहीं है। 
   सामान्यता सरकार से हम मदद की उम्मीद रखते हैं , इसमें भी वहीं उम्मीद है लेकिन इस बार सरकार हमारी सहायता के बिना हमारी मदद नहीं हर सकती। इसलिए अगर सरकार देर करती है तो जिम्मेदारी हमारी होगी देर से हाँथ उठाने की। 
  कोरिया में एक धर्म विशेष के लोग इससे अधिक संख्या में संक्रमित हो गए हैं क्योकि उनमे से कुछ लोग संक्रमण के लक्षणों के बावजूद सामान्य जीवन बिताये और लगातार साप्ताहिक प्रार्थनाओं में आते रहे। और दूसरों को भी संक्रमित किया। अगर वो हाँथ उठा लेते तो कोरिया को संक्रमितों के इतने बड़े आकड़े देखने की नौबत न आती। यहीं नहीं इनमे से बहुत सारे लोगों को ढूंढने में पुलिस को अच्छी खासी कसरत भी करनी पड़ी। 

३.भय बिन होय न प्रीत :
कोरिया को अगर एक शब्द में मुझे परिभाषित करना हो तो वो होगा 'स्पीड ', गति। हाहाकार मचा हुआ था, संक्रमितों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही थी। सरकार लोगों से गुहार लगा रही थी की किसी को दिक्कत हो तो सामने आये। ऐसे निवेदनों में हमेशा एक लाचारी होती है। ज्यादा निवेदन करना सामने वाले के भाव को बढ़ावा देना भी हो सकता है और तब खास तौर से जब सामने वाला अपना कर्तव्य भूल जाये। और निवेदन करवाने को अपना अधिकार मान बैठे। इन निवेदनों के साथ संसद में CORONA से सम्बंधित एक नया कानून भी बनाया। जिसके अंतर्गत अगर कोई महामारी से सम्बंधित सूचना छुपाता है या क्वारंटाइन को तोड़ता है तो वह उचित सजा का हकदार बनेगा। इस सजा का भय काफी लोगों को बाहर निकाल लाया। तथाकथित धर्म गुरु की जाँच चल रही है, देश से लोट लोट कर माफ़ी माँग रहें हैं कि उनसे गलती हो गयी है। इन्होने अल्प्संक्यक कार्ड भी खेलने का प्रयास किया था। लेकिन गलती कोई भी करे संख्या से नहीं जोड़ा जा सकता। और फिर ऐसी लगती जो कि देश के संसाधनों को पानी की तरह बहा दे, कोरिया की आम जनता क्षमा नहीं करती है। 
 अपनी तेज गति और कानून के भय की वजह से ही कोरिया में प्रतिदिन अधिकतम १८००० लोगों की जाँच की और १५ मार्च २०२० तक लगभग 2.75 लाख लोगों की जाँच कर चुका है (KCDC Korea )।
 
आशा करता हूँ कि कोरिया अनुभव कुछ काम आयेगा ...

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