जब-जब राहों में रोड़े मिलें, मन के हाथों हथौड़े मिलें (कविता)
ध्यान जहाँ भटका,
आदमी वहीं अटका।
लक्ष्य पावन साधो,
भेदने सर्वस्व लगा दो।
जब-जब राहों में रोड़े मिलें,
मन के हाथों हथौड़े मिलें।
धर्म की राह कड़ी होगी,
उसपे जीत बड़ी होगी।
-काशी की क़लम
ध्यान जहाँ भटका,
आदमी वहीं अटका।
लक्ष्य पावन साधो,
भेदने सर्वस्व लगा दो।
जब-जब राहों में रोड़े मिलें,
मन के हाथों हथौड़े मिलें।
धर्म की राह कड़ी होगी,
उसपे जीत बड़ी होगी।
-काशी की क़लम
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें