गौरैया (कविता)
एक गौरैया मेरे पास आई है,
शायद उसे उसकी भूख लाई है।
गौरैया को ढेरों दाने दिखते हैं,
दाने सूखे मन पे हरियाली लिखते हैं।
पानी पीने के बाद तन तर जाता है
उससे पहले दर्शन से ही मन भर जाता है।
सूखी धरती की प्यास तभी बुझ जाती है,
हवा जब बादलों पैग़ाम कुछ लाती है।
सब दाने चुगले तुरन्त! गौरैया का जी करता है,
दिनों-दिन की भूख मिटाले! उसका जी करता है।
आज दाना मिला, कल का क्या वादा है!
आने वाले बरसों का आज ही भर लेने का इरादा है।
दाना चुगने गौरैया जैसे ही चोंच गड़ाती है,
तभी वहाँ दूसरी गौरैया आके पंख फड़फड़ाती है।
गौरैया चोंच का दाना छोड़के पीछे हट जाती है,
भूख बड़ी होगी चुगले! कहकर चहक लगाती है।
दूसरी गौरैया आगे आती है, दाना चोंच में उठाती है,
तभी तीसरी गौरैया टपक कर अपनी भूख जताती है।
तीसरी भूखी रहे और वो खाले उसको धिक्कार है!
कैसे वह भूले अभी पहली से जो मिला संस्कार है!
देखा-देखी वो भी दाना छोड़के हट जाती है,
हरेक गौरैया अपना गौरैया धर्म निभाती है।
यह गौरैयाचारा देख वहाँ झुण्ड बड़ा हो जाता है
कौन चुनेगा दाना पहले? सवाल खड़ा हो जाता है।
हठ से नहीं, हटने से जग का दिल जीता जाता है
हठी नहीं जो हटी थी, उसको पहला हक़ मिल जाता है।
जब सब हठ करते हैं तब फ़ैसला तलवारें करती हैं,
जब सब हटते हैं तब फ़ैसला क़तारें करती हैं।
सारी गौरैया तुरन्त क़तार में लग जाती हैं
अपनी-अपनी बारी के इंतज़ार में लग जाती हैं।
जो धरती-सा धीरज धरता है, उसको सौभाग्य भी वरता है,
दूसरों की ख़ातिर जो भूख सहे, वो कभी न भूखा मरता है।
यहाँ बल को जो दाना मिलेगा वही मिलेगा दुर्बल को
सूरज-सा समरस दाना मिलेगा झोपड़ी और महल को।
झुण्ड को नहीं पता यह नेक शुरुआत किसने की है,
पहली गौरैया सुलझी होगी पहली बात जिसने की है।
गौरैया का सुलझापन देख आदमी हैरत में है,
आप-आप ही क्यूँ चर रहा, सोचकर ग़ैरत में है।
-काशी की क़लम
👍👍👌👌
जवाब देंहटाएं🙏🙏👍
जवाब देंहटाएंVery practical
जवाब देंहटाएंWell done
Go ahead
God bless you and your family
👏👏👏👏
जवाब देंहटाएंGreat one..!
जवाब देंहटाएं아주 좋은
जवाब देंहटाएं