‘धुरी-अधूरी माँ’ को स्नेह देने के लिए पाठकों का आभार

धुरी-अधूरी माँ

 ‘धुरी-अधूरी माँ’। (Amazon Link)

सादर प्रणाम!

Amazon की एक प्रतियोगिता के तहत पूरी हुई थी। Top Ten में shortlist होने  का आधार किताबों की बिक्री और समीक्षा था। ‘धुरी’ जगह नहीं बना सकी। विश्वास है कि टॉप 10 की क़िताबें ज़रूर अच्छी रही होंगी। 

लिखने का काम तो बिंदास रहा। धुरी भांग की तरह चढ़ गई। मिटा दे अपनी हस्ती कि कुछ मर्तबा चाहे…जैसा। आत्मविश्वास बढ़ा और लगा कि बड़ी कहानी लिखी जा सकती है। आभास हुआ कि अन्दर कुछ ऐसा है, जिससे अभी मिलना नहीं हो पाया है। ऐसी अनुभूति सबकी होगी।

जब बारी आई पढ़वाने की, मेरे पसीने छूट गये। जब सिर ओखली में डाल दिये, तो मूसर झेलना ही था। जिनसे कह सकता था, अधिकारपूर्वक कहा। कई मित्रों ने बिना पढ़े समीक्षा लिखने का उदार प्रस्ताव भी दिये, जो विनम्रतापूर्वक अस्वीकार हो गए। एक बहुत संजीदा पाठकवर्ग भी मिला। उनमें से कुछ मित्रों ने तो एक-दो दिनों में ही पूरी किताब पढ़के समीक्षा लिख डाली। शायद उन्होंने इतनी तात्परता किसी होम वर्क में भी न दिखाई हो!

तो मेरे उन सभी पाठकों का आभार, जिन्होंने नौसिखिया क़लम को पढ़ा। कुछ बतलाया, सिखलाया। तराशना चलता रहेगा।

-काशी की क़लम


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