अमेरिका की सड़कें- भाग १
(अमेरिका की सड़कों से पहली मुलाक़ात)
हरी धरा पे कालीन जैसी बिछी सड़कें
राहगीरों का एकरस सम्मान करतीं सड़कें।
एक मील भुजा से चतुर्भुज बनातीं सड़कें,
अमेरिका की छाती-सी चौड़ी-चौड़ी सड़कें।
सड़कों पे लाल रंग बहुत रंगबाज़ है,
हर लाल बत्ती की अलग आवाज़ है।
हर मील पे तिराहे-चौराहे रंग बदलते हैं,
हरदम दिमाग़ की बत्ती जलाए रखते हैं।
राइट ऑफ़ फ़्रीडम राइट ऑफ़ इक्वॉलिटी,
फलती-फूलती सभ्यता में है ये क्वॉलिटी।
दुनिया में कई राइट्स हैं, और कई राइट्स होंगे,
भविष्य तराशने को भूत से सदा फ़ाइट्स होंगे।
यहाँ सड़कों पे संग एक और ‘राइट’ तगड़ा है,
ड्राइवर के हाथ-पाँव को बेड़ियों ने जकड़ा है।
किसी मुसाफ़िर की राह में बाधा बनना गुनाह है,
क्योंकि सड़कों पे ‘राइट ऑफ़ वे’ धारा प्रवाह है।
सीधे चलना हमेशा आसान रहा है,
इन सड़कों ने भी यही पैग़ाम कहा है।
मुड़ना सदा जोख़िम भरा काम रहा है,
तभी तो राह बदलना वीरों के नाम रहा है।
दाहिने मुड़ने के लिए स्वतंत्र होते रास्ते हैं,
परन्तु स्वतंत्रता में ज़िम्मेदारी के वास्ते हैं।
दाहिने मुड़ने का सुरक्षित समय चुनना है,
मंत्र सजगता और चपलता के गुनना है।
बाएँ मुड़ने की ख़ातिर लगती घात है
ख़तरों के खिलाड़ी वाली जज़्बात है।
हरी बत्ती पे आँख मूँद के जाना है,
दिखे पीली तो आँख फाड़ के जाना है।
हर साइन बोर्ड की एक आवाज़ है,
कहते आगामी रास्ते का मिज़ाज है।
सड़कें मंज़िल पाने की सौग़ातें हैं,
नहीं छुपातीं ये जैसे खुली क़िताबें हैं।
‘नक़्शा’ अलग-अलग पथ बतलाता है,
पर ‘बच्चन’ जी ने यह बतलाया है।
राह पकड़के एक चला चल पीने को हाला,
प्यास बुझेगी, जब पहुँचेगा ‘अपनी’ मधुशाला।
-काशी की क़लम
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