Man’s Search For Meaning (जीवन के अर्थ की तलाश में मनुष्य) । हर परिस्थिति में सम्मानपूर्वक जीवन जीने का प्रेरणास्पद संस्मरण !



ये किताब मेरे दो पढ़ाकू मित्रों ने अलग-अलग समयों पे सुझाई थी। इससे पहले कि तीसरे किन्हीं मित्र की कृपा होती, पढ़कर मैंने भी गंगा नहा ली। 

क़िताब के कवर पे जिस श्वेत-श्याम क्षितिज और गैस के इग्ज़ॉस्ट पाइप को दिखाया गया है, वो नाज़ियों ( NAZI) के बर्बर अत्याचार का प्रतीक है। ये कवर नाज़ियों द्वारा यहूदियों के प्रति की गई अमानवीय क्रूरताओं का ट्रेलर है। कटीले तार पे बैठी ये रंगीन चिड़िया श्वेत-श्याम पते पर आशा की चिट्ठी है। ऐसी घोर निराशा में एक आशावादी, उसूलों वाली चिड़िया ही बच सकती है। क्योंकि इन कटीले तारों में निराशा, अवसाद और मौत की बिजली दौड़ा करती थी। यह किताब ऐसी ही मानव रूपी एक चिड़िया की दास्तान है। यह चिड़िया कोई और नहीं, लेखक महोदय ही हैं, जिनकी क़िस्मत मौत को चकमा दे देती है।

  पुस्तक का आकार और इसकी दुबलाई ( १५४ पृष्ठ) को देखकर पाठक का उत्साह बढ़ेगा। शायद ख़याल भी आए कि पिछली बार इतनी पतली किताब आपके हाथ कब लगी थी ! पर यह तो गागर में सागर है। लगभग हर लाइन आपको ठहरने के लिए मजबूर करती है। खरगोश को कछुआ बना देती है। चिंतन को प्रेरित करती है। सेल्फ़-हेल्प की उपदेशात्मक किताबों में प्रयोगशाला से निकला हुआ ज्ञान क्षणिक प्रभाव डालता है। इस पुस्तक के विचार किसी प्रयोगशाला के शोध वाले नहीं हैं, बल्कि मौत के विषैले समंदर में छिपी अमृत की चंद बूँदे हैं। यही बात इस पुस्तक को अन्य बिलीयन डॉलर ‘सेल्फ़-हेल्प’ की बाज़ार वाली सैद्धांतिक पुस्तकों से अलग करती है। अनुभव अनमोल होता है, जिसके लिए उन पलों से गुज़रना पड़ता है। और जब ये पल मौत के समंदर में बीते हों, तो सीप की हर कोख से मोती ही निकलता है। लेखक ने उन्हीं अनुभवों में से आशा के उदाहरणों को छाना है। आशा ही है, जो अंतिम सहारा बन सकती है।

  इस दौर में अमानवीय कृत्यों की भी पैरवी की जा रही है। इसे समय की माँग के कहा जा रहा है। ऐसे दौर में यह कृति मानवता के मूलभूत गुणों को सहेजने का उदाहरण सहित पैरोकार करती है। इस पुस्तक की लाइनें बहुचर्चित हैं। ‘आदमी परिस्थितियों का दास नहीं, अपने निर्णयों का स्वामी होता है।’ ऐसी बहुतेरी लाइनें प्रेरणास्पद व अनुकरणीय हैं।

पुस्तक दो भागों में है: पहली में मौत के कुएँ की बेहद मार्मिक दास्तान है; दूसरा भाग थोड़ा सैद्धांतिक है, जो मनोरोग विशेषज्ञों को काफ़ी रास आ सकता है। आम लोगों में इस जानकारी से भी काफ़ी मदद पहुँचेगी। 

इसको जल्दी से पढ़कर अपने पड़ाव का मूल्यांकन करना चाहिए कि क्या हम जीवन के सही पथ पे हैं?

-काशी की क़लम


टिप्पणियाँ

  1. ‘आदमी परिस्थितियों का दास नहीं, अपने निर्णयों का स्वामी होता है।’ Bahut khub ..

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  2. Well written review. This book has immense power to lift you up, “ If you have why, what and how can always be achieved.”, one of the best self help book that can open up one’s potential that one never thought existed. It is great potent amalgamation of belief systems and science. Must read book in one’s lifetime, you will not be disappointed with time you invested in reading this book.

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