नब्ज़-गूँज दबते स्वरों की- डॉ. बी॰ बी॰ सिंह जी, पूर्व प्राचार्य, उदय प्रताप कॉलेज, वाराणसी



गूँज दबते स्वरों की

श्री नवीन सिंह द्वारा समसामयिक समस्याओं पर रचित कहानियों को आद्योपांत पढ़ा। कहानियों की भाषा रोचक एवं सरल है। एक बार पढ़ना शुरू करने पर बीच में छोड़ने का मन नहीं करता है। सभी कहानियाँ प्रेमचंद्र की कहानियों की तरह यथार्थ लगती हैं। ऐसा लगता है कि अपने ही समाज की कहानियाँ हैं। मेरी शुभ कामना है अपनी यथार्थ रचनाओं द्वारा श्री नवीन सिंह साहित्य जगत में अपना नाम करें।

 

 डॉ. बी॰बी॰ सिंह

पूर्व प्राचार्य, उदय प्रताप कॉलेज, वाराणसी,

आपको कोटिशः चरण स्पर्श। आपका आशीर्वाद हमारे लिए सौभाग्य व सतत ऊर्जा का स्त्रोत है। आपकी सीख को मैंने गाँठ बाँध लिया है,

” इसको (लेखन) जारी रखना।”

 


-काशी की क़लम


 

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