हिंदी हैं हम-आभार अमर उजाला

 अमर उजाला, प्रयागराज और श्री अरुण भैया, श्री अनिल सर जी को मेरी हिंदी की छोटी-सी सेवा के लिए इतनी बड़ी जगह देने पर मेरा विनम्र प्रणाम। साथ ही एक अनुभूति भी साझा करना चाहूँगा।

  सेवा तभी तक सेवा रहती है, जब तक सेवक स्वयं इस सेवा कार्य से अनभिज्ञ रहे। वह इसमें रमा हुआ हो और उसको तनिक भी आभास न हो कि वो सेवा कर रहा है। संज्ञान लेकर की गई सेवा ज़रूर किसी ज़िम्मेदारी का बोझ ढो रही होती है। निःस्वार्थ सेवा की यात्रा में जब कोई आपसे लेखा-जोखा पूछे, आप ठहरें, पीछे मुड़कर देखें और फिर आपको लगे कि अरे बिना जाने हम तो इतनी यात्रा तय कर गए। पता ही नहीं चले! यहाँ पर बिना जाने पर गौर करने की ज़रूरत है। असल सेवा वही है, जो दूर-दूर तक भी अपने किसी स्वार्थ से रिश्ता न रखी हो।

  आपका यह प्रतिष्ठित पन्ना मेरे लिए बहुत अनमोल है।  यह कलम को प्रेरणा और हिंदी सेवा का बल देगा। आपके द्वारा दिए गए सेवा-संज्ञान को मैं भूलकर अपने प्रयासों में जुटने जा रहा हूँ। 

सादर...

https://epaper.amarujala.com/allahabad-city/20210819/10.html?format=img&ed_code=allahabad-city

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टिप्पणियाँ

  1. Whenever I read your work Naveen I feel I am talking to myself. It connects so well with me. Thanks for helping me remember how I speak to myself! Keep doing the good work. I’m sure it helps lots of people to connect to a lovely land and my culture.

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