आशाएँ: सृष्टि का अस्तित्व

कराल मरुधर में भी  बूँदों का इंतज़ार आशा है।


घोर अंधकार का खुली आँखों से दीदार आशा है।


सुनसान सफ़र में भी हमसफ़र की राह देखना आशा है।


घनघोर अकाल में भी, दरारों को बादलों की चाह आशा है।


मरघट के सरोकार में भी, अभिलाषा जीवन की, आशा है।


अवसाद के पड़ाव के बाद भी, सुनहरे जीवन की मंज़िल, आशा है।


नहीं मिली जिनकी ख़बर, उनके नाम का सिंदूर लगाना, आशा है।


रात के काले प्रश्नों का उत्तर पूरब में मिलेगा, आशा है।


पतझड़ में पत्तों से बिछुड़कर पेड़ों को बसंत का आना ,आशा है।


दर-दर बिखरती बग़िया में लगेंगे अमन के फूल, ,आशा है।


चातक को स्वाति की बूँदों का इंतज़ार आशा है।


महाकाल के भक्त हम, होगी काल की हार, आशा है।


जब कुछ भी न हो, सपनों का होना आशा है।


सृष्टि का उद्गम कुछ भी हो, उसका अस्तित्व आशा है।







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