असीम आभार हिंदी अकादमी, मुंबई
आदरणीय डॉ. प्रमोद सर एवं समस्त
हिंदी अकादमी, मुंबई (साहित्यिक एवं काव्य समूह)
परिवार, सादर प्रणाम
यह ट्रोफ़ी भेजने के लिए आपका हृदय से आभार।
इस मंच पर आकर काफ़ी कुछ सीखने को मिल रहा है। यहाँ पर नम्र भरतभाई वायडा जैसे किशोर हैं, जो कि भारत के भविष्य का प्रतिनिधित्व करते है। उनके विचारों से रूबरू होकर लगा कि देश की बाग़डोर सही हाथों में जाने वाली है। इस मंच पर श्रीमती तरूणा पुण्डीर जी जैसी व्यक्तित्व हैं, जो सबको आजीवन नई-नई चीज़ें सीखने की प्रेरणा देती हैं। “ अगर मुझे सिफ़ारिश की ज़रूरत होती, तो मैं इस उम्र में प्रतियोगिता में नहीं आती।” उनका काव्य पाठ प्रतियोगिता में कहा गया यह कथन मेरे ज़ेहन में सजीव रहेगा। श्रीमती आभा सूचक जी ने सहजता, विनम्रता की जीती-जागती मूर्ति हैं। ऊँचाई पर भी शालीन बने रहना कोई उनसे सीखे।
यह संस्थान अपने उद्देश्यों में सफलता प्राप्त करे, मेरी प्रभु से प्रार्थना रहेगी।
-आपका शिष्य
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