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ताशकंद उत्तरगाथा : डॉ. नीरजा माधव I साक्ष्यों का सूक्ष्म विश्लेषण करके नक़ाबपोश हत्यारों को चिन्हित करती कृति।
साक्ष्यों का सूक्ष्म विश्लेषण करके नक़ाबपोश हत्यारों को चिन्हित करती कृति। अंग्रेज़ों की ग़ुलामी से मुक्त हुआ था भारत। नेहरू जी नए भारत की आत्मा को जगाने में जुटे थे। १९६४ में उनकी मृत्यु हो जाती है। इंदिरा गाँधी जी के रहते, लाल बहादुर शास्त्री जी भारत के प्रधानमंत्री चुने जाते हैं। आजीवन तप से तैयार हुआ व्यक्ति किसी भी बड़े पद का ओहदा और बढ़ा देता है। शास्त्री जी उस भारत का नेतृत्च कर रहे थे, जिसके वे आम आदमी भी थे । ग़रीबी और अभाव से उभरता हुआ भारत। अंग्रेज़ों ने आम जनता के स्वाभिमान तक को मिट्टी में मिला दिया था । जब ग़रीबी के नाम पर आज भी भारत में चुनाव लड़े जाते हैं, तो उस दौर में ग़रीबी की हम कल्पना कर सकते हैं। विदेशी शक्तियाँ भारत को उभरने से रोकने का पुरजोर प्रयास कर रही थीं। भारत जैसा विशाल देश किस महाशक्ति को बतौर कठपुतली अच्छा नहीं लगेगा! ऐसे परिवेश में एक देशभक्त, महत्वाकांक्षी और परिश्रमी लोकनायक काँटों का ताज पहनता है। उसे काँटों में छुपे गुलाब पे भरोसा रहता है। शास्त्री जी लोगों से सीधे संवाद स्थापित करते हैं। अन्न बचाने के लिए उनकी एक अपील पर ...
विनम्र श्रद्धांजलि: स्व. श्री परमानन्द सिंह (पी. एन. सिंह) जी
आज क़लम का रक़्त गाढ़ा है, हृदय आपर पीड़ाओं से भरा हुआ और नेत्र अदृश्य अश्रुओं से पूरित हैं। धर्मपत्नी श्रीमती गीता सिंह के पिता श्री परमानन्द सिंह जी 28 दिसंबर 2024 को ब्रह्म में विलीन हो गए। दुःख की घड़ी धीमी चल रही है। मन नियति के इस कठोर निर्णय को स्वीकार करने का दुरूह प्रयास कर रहा है, परन्तु यह अत्यंत कठिन है। किराए की काया को छोड़कर, यह दिव्य आत्मा अपने मालिक प्रभु के श्री चरणों में चली गई। किरायेदार के बसर की सफलता का मानक है कि व्यक्ति प्रवास में कितना मानव बना रहा? वह बिना किसी ‘सुदूर’ स्वार्थ के दूसरों के कितना काम आया। दूर के लोग भी उसकी कमी की अनुभूति करें। इन मानकों पर स्व. परमानन्द सिंह जी ने आदर्श प्रस्तुत किया। आपके द्वार पर आशा से आया हुआ कोई भी निराश नहीं लौटा। मुश्क़िल घड़ी में जो चेहरा सबसे पहले ध्यान आए, वह चेहरा प्रभु का ही रूप होता है। आप आशा की वह दिव्य किरण बने रहे। बतौर कोल माइन्स कांट्रैक्टर आपने अधिकारियों तथा श्रमिकों के साथ काम किया। अपने अधिकारियों से आपने खूब स्नेह और सम्मान कमाया जिसको अपने श्रमिकों पर और अधिक बढ़ा करके लुटाया। कार्य स्थल को अलविदा कहन...
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