साक्ष्यों का सूक्ष्म विश्लेषण करके नक़ाबपोश हत्यारों को चिन्हित करती कृति। अंग्रेज़ों की ग़ुलामी से मुक्त हुआ था भारत। नेहरू जी नए भारत की आत्मा को जगाने में जुटे थे। १९६४ में उनकी मृत्यु हो जाती है। इंदिरा गाँधी जी के रहते, लाल बहादुर शास्त्री जी भारत के प्रधानमंत्री चुने जाते हैं। आजीवन तप से तैयार हुआ व्यक्ति किसी भी बड़े पद का ओहदा और बढ़ा देता है। शास्त्री जी उस भारत का नेतृत्च कर रहे थे, जिसके वे आम आदमी भी थे । ग़रीबी और अभाव से उभरता हुआ भारत। अंग्रेज़ों ने आम जनता के स्वाभिमान तक को मिट्टी में मिला दिया था । जब ग़रीबी के नाम पर आज भी भारत में चुनाव लड़े जाते हैं, तो उस दौर में ग़रीबी की हम कल्पना कर सकते हैं। विदेशी शक्तियाँ भारत को उभरने से रोकने का पुरजोर प्रयास कर रही थीं। भारत जैसा विशाल देश किस महाशक्ति को बतौर कठपुतली अच्छा नहीं लगेगा! ऐसे परिवेश में एक देशभक्त, महत्वाकांक्षी और परिश्रमी लोकनायक काँटों का ताज पहनता है। उसे काँटों में छुपे गुलाब पे भरोसा रहता है। शास्त्री जी लोगों से सीधे संवाद स्थापित करते हैं। अन्न बचाने के लिए उनकी एक अपील पर ...
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