Troy Public Library द्वारा आयोजित पुस्तक मेले में हिन्दी पुस्तकें हुईं प्रदर्शित ।

 Troy, Michigan, USA. १६ नवंबर को ट्रॉय पब्लिक लाइब्रेरी द्वारा Local Authors Fair का शानदार आयोजन हुआ। इसमें कुल ५६ लेखकों ने प्रतिभाग लिया। पुस्तक मेले में एक हज़ार से भी अधिक पाठकों ने हिस्सा लिया। पुस्तक मेले में शिशु, किशोर तथा वयस्क इत्यादि सभी वर्ग के पाठकों के लिए पुस्तकें प्रदर्शित हुईं। लेखकों ने अपनी रचनाओं को बड़े ही रोचक ढंग से पाठकों के समक्ष प्रस्तुत किया।



मेले में नाथूपुर, टाण्डा कलाँ, चन्दौली के नवीन सिंह को भी स्वरचित हिन्दी साहित्य प्रदर्शित करने की अनुमति मिली। नवीन सिंह ने गूँज दबते स्वरों की (कहानी संग्रह), धुरी-अधूरी माँ (उपन्यास), सारंगी-गीत मंथन के (काव्य संग्रह) से पाठकों को परिचित कराया। इसके साथ-साथ हिन्दी साहित्य में महत्त्वपूर्ण योगदान करने वाले लेखकों का कोलाज़ बनाकर उनकी प्रमुख कृतियों के बारे में भी बताया। इनमें महान कथाकार तथा उपन्यास सम्राट मुंशीप्रेमचंद, नोबेल पुरस्कार सम्मानित राष्ट्रगान के रचयिता रवींद्र नाथ टैगोर, नारी पीड़ा को ज़बान करने वाली अमृता प्रीतम इत्यादि प्रमुख नाम हैं। 



मेले में भारतीय मूल के पाठकों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। उन्होंने हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए नवीन सिंह के प्रयासों की प्रशंसा की तथा उनको भविष्य में इन प्रयासों के लिए शुभकामनाएँ दीं। नवीन सिंह आभार व्यक्त करते हुए Oakland University के प्रोफ़ेसर डॉ. रवींद्र खत्री जी ने कहा कि साहित्य, भाषा का इतिहास और संस्कृति दोनों को सहेजने का साधन है। हिन्दी की अध्यापिका श्रीमती कुमकुम जी ने अमेरिका में हिन्दी को जीवित रखने के लिए नवीन की सराहना की। शिशु चिकित्सक (सेवा निवृत्त) डॉ. इंदरजीत सैनी जी ने नवीन सिंह के प्रयासों को समाज की सेवा का नाम दिया। हिन्दी के लिए इस पहल से उत्साहित तमिल भाषा के लेखक तथा चित्रकार श्री शंकर गोविन्दराज जी ने कहा कि इससे अन्य भारतीय भाषाओं को भी अमेरिका में बल मिलेगा। नवीन सिंह की रचनाओं को पढ़ने के लिए उन्होंने हिन्दी सीखने का भी निश्चय किया। इंजीनियर श्री कृष्ण जाधव जी ने कहा कि आज के दौर में अपनी पहचान खोना आम बात है। ऐसे में ख़ुद को पहचानना और अपनी जड़ों से जुड़े रहने  का प्रयास बहुत ही अभिनंदनीय है। फ़िज़ियोथेरापिस्ट श्रीमती अर्चना तिवारी तथा श्री राजीव तिवारी जी ने प्रस्तुत सूचनाओं की प्रशंसा की तथा शुभकामनाएँ दीं। हिन्दी न जानने वालों ने भी इन रचनाओं के विषय वस्तु में बहुत उत्सुकता दिखाई। श्री मैलकॉम जी ने कहा कि ये संस्कृतियाँ संसार को बहुत सारी अनभिज्ञ चीज़ों से रूबरू करवाती हैं। उन्होंने बताया कि उनकी बोधहीनता को समाप्त करने तथा इन संस्कृतियों को समझने के लिए उनको कई जन्म भी कम पड़ जाएँगे। विषय वस्तु से अत्यंत प्रभावित श्री टेड जॉर्डन जी ने नवीन की रचनाओं से सीखने की इच्छा जताई। मेले में हिन्दी साहित्य की शानदार प्रस्तुति से लेकर अमेरिकी भारतीय समाज काफ़ी उत्साहित और भावुक दिखा।

-काशी की क़लम 



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