English, Hindi, Tamil. आँकड़ों का आईना। Amazon.IN की रौशनी में।


सादर प्रणाम!
Amazon India की लेखन प्रतियोगिता #PentoPublish5 चल रही है। प्रतियोगिता के फ़ाइनल परिणाम अभी आने बाक़ी हैं। इस प्रतियोगिता के परिणाम से अधिक रोचक इसकी यात्रा है। मंज़िल हमेशा अधूरी, उबाऊ रहती अगर सफ़र का ज़िक्र न होता। कोई भी प्रतियोगिता केवल विजेताओं के नाम के साथ ख़त्म नहीं होती। अगर एक प्रतियोगिता में दस प्रतिभागी दौड़ रहे हों, और दूसरी में सौ, तो कौन-सी वाली अधिक रोमांचक रहेगी? इसीलिए, मज़ा मंज़िल का नहीं, सफ़र का होता है।

कुछ बातें इस प्रतियोगिता की।  इसमें English, हिन्दी और तमिल भाषाओं में रचनाएँ आमंत्रित थीं। कहानी, उपन्यास, गीत, स्वविकास, कविता, एडल्ट, इत्यादि  किसी भी विधा में पाँच हज़ार शब्दों से अधिक की क़िताब प्रकाशित करना था। हर भाषा में टॉप टेन चुनाव होना था। मानक क़िताबों की बिक्री, समीक्षा थी। टॉप टेन में जगह बनाने का पूरा दारोमदार प्रचार-प्रसार के प्रयासों पे था। हर भाषा में चुनी गई टॉप टेन क़िताबों को उस भाषा के जज पढ़ते और मूल्यांकन करते। यानि amazon ने क़िताबों का टेस्ट मैच रखा। मैच के दौरान अंपायरों को सोने भेज दिया। Amazon ने टीमों से  कहा कि आपस में जी भर खेल लो। जो टॉप टेन टीम अधिक रन बनाएगी, उनका सुपर ओवर अंपायर के सामने होगा। 

भारत में जब भी भाषा की बात आती है, दिमाग़ में एक संकुचन पैदा हो जाता है। तलवारें तन जाती हैं। भाषा, जो संचार का माध्यम है, दीवार बन जाती है।  मेरी भाषा पुरानी है; दूसरे की बात करना बेईमानी है;  इसे इतने लोग बोलते हैं; राष्ट्रभाषा जैसी है; वग़ैरह दिशाहीन मुद्दों पे बहस छिड़ी रहती है। ऐसी बहस करने वालों के लिए यह प्रतियोगता एक आईने का काम करती है। आगे के सफ़र में झटका लग सकता है, तो उदारता की पेटी बाँध लीजिए।

आईना-Amazon India के सौजन्य से

  • अंग्रेज़ी में एक हज़ार से अधिक पुस्तकों ने दस्तकें दीं, जो कि हिन्दी और तमिल की दस्तकों से लगभग दस गुनी हैं। मतलब कुछ भी कहें,  धारा तो अंग्रेज़ी की बह रही है।
  • जो लिख रहे हैं, वो ख़ूब पढ़ते भी होंगे। मतलब अंग्रेज़ी का साहित्य हिन्दी, तमिल की तुलना में ख़ूब अधिक पढ़ा जा रहा है।
  • प्रतियोगिता पर आधारित संख्याबल! अंग्रेज़ी India की सबसे अधिक लिखी जाने वाली भाषा हुई। हिन्दी और तमिल अंग्रेज़ी से कोसों दूर लोकल लिखावटी भाषाएँ हुईं। इसके मद्देनज़र अंग्रेज़ी को राष्ट्रभाषा घोषित करने में क्या हर्ज़ है? आख़िर ये पूरी इंडिया को जोड़ने का काम करती है। यूनिफ़ाइंग पॉवर है।
  • अंग्रेज़ी (और उर्दू) हमारे इतिहास का हिस्सा है, इतिहास से सीखने की ज़रूरत है और यह सीख तभी संभव है, जब इतिहास को स्वीकार किया जाए।  सीखना इसलिए कि दोबारा उसको दोहराया न जाए। सीखना इसलिए भी कि जो हुआ, उसको अपने हित में आगे कैसे लाएँ!
  • शाइनिंग इण्डिया के पीछे लोकल भाषाओं ने यदि चरित्र दिया है, तो अंग्रेज़ी ने दुनिया के दरवाज़े खोले हैं। 
  • भारत की 52.83 करोड़,  43.63 % आबादी हिन्दी भाषी है, 6.9 करोड़, 5.7% आबादी तमिल भाषी है।  हिन्दी की पुस्तकें 112, तमिल की 106. हिन्दी बोलना बहुत लोग जानते हैं।  क्या वे लिखना नहीं जानते? या फिर लिखना नहीं चाहते? लिखने में संकोच कैसा? तमिल बोलना कम लोग जानते हैं। लेकिन लिखावट में कमी नहीं है।कुछ भी हो, दोनों भाषाओं की ‘क़िताबों का’ समतुल्यम्’ हो चला है। Source
  • टॉप टेन की पुस्तकों पे मिली समीक्षाएँ! हिन्दी की सबसे अधिक टिप्पणी पाने वाली क़िताब की कुल 118 समीक्षाएँ हैं, तमिल की 561. अंग्रेज़ी की 659. यह इन भाषाओं के पढ़े जाने का ट्रेण्ड दिखाता है। 
इस संकुचित आँकड़े से यह व्यापक तथ्य निकलता है कि अंग्रेज़ी भारत की यूनिफ़ाइंग भाषा बनती जा रही है; हिन्दी पे ग्रहण बरक़रार है; तमिल अपने स्वर्णिम भविष्य की ओर अग्रसर है।
सादर
-काशी की क़लम




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