सीना तान के झण्डा फहराएँगे (कविता)


अनन्त-सा पेट बड़ा है हमारा,

मेहनताने से भरता नहीं बेचारा।

ऊपरी आमदनी पे हक़ जताएँगे,

सीना तान के झण्डा फहराएँगे।


दफ़्तर में फ़ाइल अपाहिज है,

उसे बढ़ाने में बाबू जाता खीज है।

जनता का, देश का समय गवाएँगे,

सीना तान के झण्डा फहराएँगे।


देश-प्रेम जताना बहुत सरल है,

भ्रान्तियों में उलझना गरल है।

विरोध जताने ट्रेन-बसें जलाएँगे,

सीना तान के झण्डा फहराएँगे।


जो काम करो, जी-जान करो।

उन कर्मों को देश के नाम करो।

दस्तूर ध्वज-सलामी का निभाएँगे,

सीना तान के झण्डा फहराएँगे।


देशभक्ति एक अविरल मशाल है,

देशहित सतत चिन्तन का सवाल है।

भक्ति पुआल-सी जलाकर बुझाएँगे,

सीना तान के झण्डा फहराएँगे।


घेरा हो घर में यदि घना अंधेरा,

बिसात पे सत्ता हो ओझल सबेरा।

देश-सीमा पे आग लगा रोशनी फैलाएँगे,

सीना तान के झण्डा फहराएँगे।


कर तो है भारत माँ के दूध का कर्ज़ 

चुकाना उसको है देशभक्त का फ़र्ज़।

छद्म देशभक्त पुरज़ोर कर चुराएँगे,

सीना तान के झण्डा फहराएँगे।


कर सबकी बाज़ुओं को बल देता है,

सपने साकार करने का धरातल देता है।

नेता कर को वोट-बैंक में जमा कराएँगे,

सीना तान के झण्डा फहराएँगे।


धर्म की भट्टी को धधकाके,

झूठे राष्ट्रवाद का तवा चढ़ाके,

सिंहासन का जश्न मनाएँगे,

सीना तान के झण्डा फहराएँगे।

-काशी की क़लम


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