जागृति: सुबह-सुबह

 रोज़ सुबह शरीर के साथ आत्मा भी जगेबीते कल के कामों का हिसाब लेऔर काम ऐसे रहें कि आत्मा को कोई रोष  हो। यदि कोई मलाल होतो दुरुस्त करने की मंशा भी हो।

रोज़ सुबह शरीर के साथ आत्मा भी जगे, बीते कल के कामों का हिसाब ले, और काम ऐसे रहें कि आत्मा को कोई रोष न हो। यदि कोई मलाल हो, तो दुरुस्त करने की मंशा भी हो।




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