अर्नेस्ट हेमिंग्वे: इनकी कलम कंजूस थी, मन लालची।

 अर्नेस्ट हेमिंग्वे: 

इनकी कंजूस कलम थी, मन लालची। 

विकिपिडिआ पर पढ़िए। 
छः शब्दों की कहानी: इसकी शुरुआत सबसे पहले नोबल पुरस्कार विजेता अमेरिकी साहित्यकार Ernest Hemingway ने की थी। 
चुनिंदा केवल छः ऐसे शब्द जो एक कहानी को कह जाँय। एक कहानी प्रेरित कर दें।

मेरे द्वारा रचित कुछ और क्रमशः...

तीनों बेटे कफ़न सिलकर लाये थे। 

उसे सूखे ग़ुलाबों को लौटना पड़ा।

कंजूस कलम थी लेकिन मन लालची।

पंख मुल्तानी है पर उड़ान आसमानी।

उसने नारायण को चुना, नारायणी नहीं।

उसने घुटने से दम घोंट दिया।

वो गहरा था इसीलिए ऊँचा चढ़ा।

जनता सब नहीं बस इतना जानती है। 

बदले का कालचक्र अंतहीन होता है।

हर मन राम हर घर रामायण।

नर, नारायण, नारायणी में नर चुनिए। 

आज सबसे बड़ा गुनाह है गरीबी।

ग़रीब को पैसा नहीं किताबें दीं। 

ख़त में बस आँसुओं के धब्बे थे।

एहसान की गठरी अन्याय करा दी।

कोलाहलों में भी वो सूना था।

काला रंग उसका काल बन गया।

पसीने से हवा और ठंडी लगी।

वो ऊँचा उठा नीचा गिरकर।


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