कोरोना (CORONA) हमारे कितने क़रीब था ? भाग-१


सादर प्रणाम !
वर्तमान में कोरोना से सम्बंधित सूचनाओं की बाढ़ इंटरनेट की गंगा पर आयी हुयी है। मैं इस बाढ़ में एक बूँद और जोड़ना नहीं चाहता था, लेकिन मुझे लगता है कि कोरिया अनुभव का एक अर्घ्य देने का उचित समय आ गया है । आज जब भारत में संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही हो और कोई स्थायी समाधान आगे न दिख रहा हो, तब मन का घबराना स्वाभाविक हो जाता है। इस भयावह मंजर को मैंने कोरिया में देखा है और आपके साथ उसका एक पहलू साझा करना चाहूँगा। आपके सामने इसको रखने का मक़सद केवल आपकी धड़कनों की गति को सामान्य करने का हैऔर भरोसा दिलाने का, कि इससे सबलोग मिलकर उबर जायेंगे।

सैन्य धर्म की ज़रूरत : 

फोटो साभार -गूगल
आपको दाहिने चित्र वाला डब्बा याद है ? बचपन में हमारा पेंसिल बॉक्स हुआ करता था। इसपर FRONTIER लिखा है और एक सैनिक युद्ध करता हुआ दिखता है। ऐसा लगता है कि सैनिक डब्बे से बहार निकल आएगा। आज आप यहीं सैनिक हैं, जो इस महामरी से जूझ रहे हैं। लेकिन इस लड़ाई में बहुत सारी सीमाओ में रहना पड़ रहा है। एक सैनिक, जो देश की आन की रक्षा करता है और जरूरत पड़ने पर बलि भी दे जाता है, क्या कभी चाहेगा कि वो अपने लोगों की समस्या का कारण बने ? अतः मेरी आप सभी से विनती है कि जागरूक और सतर्क बने रहें और सैन्य धर्म का पालन करते रहें। ध्यान रखिये कि कहीं आप दूसरे की समस्या का कारण नहीं बन रहे हैं। अतः, भगवान न करें, अगर कोरोना के लक्षण हों, तो तुरन्त सरकार द्वारा निर्धारित माध्यमों से सूचना दें। ख़ुद भी बचें और अपने चाहने वालों को भी संक्रमित करने से बचें।  
  आज कोरिया का कोरोना कंट्रोल मॉडल पूरे विश्व में चर्चा का विषय बना हुआ है। मैं यहाँ पर इस मॉडल का प्रचारक नहीं बनना चाहूँगा, क्योंकि हर देश की अपनी अलग चुनौतियाँ हैं। लेकिन इनकी कुछ बातें अनुकरणीय अवश्य हैं।
अगर कोरिया में कोरोना पर लगाम लगी है, तो इसका सबसे पहला श्रेय यहाँ की जनता को जाता है, जिसने युद्ध जैसी स्थिति में भी सँयम बनाये रखा। सरकारी तन्त्रों द्वारा दिये गये निर्देशों का शिद्दत से पालन लिया। भय को मात देकर बस अपना ही नहीं, बल्कि अपने पड़ोसियों का भी ध्यान रखा। ये लोग कोरोना के लक्षण आने पर डर से कहीं छिपे नहीं, आइसोलेशन की चुनौतियों से घबराये नहीं, बल्कि उसका डट कर सामना किया। तभी तो बिना किसी lockdown के ही स्थिति को सामान्य कर पाये हैं। यह एक प्रकार का सैन्य चरित्र ही है, जो इस जंग में बहुत जरूरी है।
भारत ने तो विश्व को योग सिखाया है, फिर हमें संयम कौन सीखा सकता है ?

जीवन शैली में परिवर्तन जरूरी:

मैंने पिछले पोस्ट में भी इसपर चर्चा की थी। कोरिया में २० जनवरी को पहला संक्रमण से शुरू हुआ था और बहुत प्रयासों के बावजूद अभी isloation में लगभग १६०० लोग और प्रतिदिन १० से कम नये संक्रमण हो रहे हैं(१)। मतलब अभी यहाँ पर शून्य होने  तक कम-से-कम २ महीने लगेंगे। भारत में भी अभी संक्रमितों की संख्या बढ़ती जायेगी,  peak होगा और फिर धीरे-धीरे समाप्त होगी। इसलिये संख्या को देखकर चिन्ता स्वाभाविक है। कुछ महीनों तक हालात ऐसी ही चलेंगे। मान लिजिये सब कुछ ठीक-ठाक रहा, तब कम से कम इस साल अगस्त तक ऐसा ही रहेगा। अतः  इसे अस्थायी चुनौती मानकर स्वीकारने की जरूरत है। भारत सरकार के द्वारा किये गये lockdown के कारण सब लोग घरों में हैं।  कोरिया में lockdown नहीं हुआ था। ऑफिस भी सारी सजगताओं के साथ सुचारू रूप से चल रहा था। मैंने सोशल डिस्टन्सिंग के तौर पर निम्न दो परिवर्तन किये :
  • कंपनी के कैंटीन के भोजन के जगह घर के लंच बॉक्स 
  • Subway /ट्रेन  के जगह साइकिल से ऑफिस जाना 
इन दोनों से बहुत आत्मविश्वाश आया, क्योंकि मैं लोगों के सम्पर्क में बहुत कम आ रहा था। इसमें मेरी भी सुरक्षा थी और अगर मुझे हो भी गया तो दूसरे कम-से-कम लोगों को संक्रमित होने की संभावना थी। उस पारा शून्य से नीचे रहता था, तो मुझे ठण्डी लग गयी। कोरोना के कुछ लक्षण सर्दी के लक्षणों से मेल करने की वजह से मेरा भी कोरोना का टेस्ट हुआ था। टेस्ट लेने से पहले मेरे मन भी तमाम आशंकाएँ थीं। जैसे, अगर टेस्ट पॉजिटिव आ गया तो २-३ हफ़्ते के लिए दुनिया से कट जाऊँगा।  पूरे परिवार का टेस्ट होगा। दफ़्तर में मेरे सहकर्मियों का टेस्ट होगा। मैं एक पॉजिटिव टेस्ट के बदौलत नेगेटिव तौर पर हाईलाइट हो जाऊँगा।  १-२ % मृत्य दर है, तो कहीँ ईश्वर बुला न लें। उस समय 'नैनम  छिन्दन्ति शस्त्राणि (२)' में आस्था रखा और इन तमाम आशंकाओं के बावजूद जब मेरे गले में थोड़ा दर्द हुआ तो मैंने अपने आपको isolate कर लिया और अपने दफ़्तर भी सूचित कर दिया, ताकि मेरे सम्पर्क में आने वाले लोग भी मुश्तैद हो जाँय।
डॉक्टर से मुलाक़ात और उसके बाद की आपबीती के लिए भाग-२ यहाँ पढ़िए।  कोरोना हमारे कितना क़रीब था ? भाग-२ 
सुरक्षित रहिये !
सादर  प्रणाम
-आपका नवीन
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साभार
१ https://www.cdc.go.kr/board/board.es?mid=a30402000000&bid=0030
२.गीता
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आपके आशीष से बच्चों के लिये एक पिक्चर बुक पर काम चल रहा है। जल्द ही आपके हाँथ में देने के लिए यत्नरत। 

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