संदेश

दिसंबर, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अतिलघु कथा : पानी-पत्ती

चित्र
नमस्कार ! आज जब हर काम करने से पहले हम सोचते हैं कि इसमें मेरा क्या फ़ायदा है, रिश्तों में मतलब निकालते हैं, उस समय यह कहानी जिसका शीर्षक है पानी-पत्ती सम्बन्धो को निभाने और कृतज्ञ बने रहने की प्रेरणा देती है।  ठण्ड में ठहरा हुआ पानी जम रहा था।  पानी के ऊपर एक पत्ती तैर रही थी ।  बड़े ही आनंद में हिलोरे लेती , कभी इठलाती, हरदम नहाती, तरो ताज़ा महसूस करती।  पानी एक दिन पत्ती बोला- यहाँ से निकल जाओ अभी माहौल सही नहीं है।  मज़े लेने बसंत में फिर आना। इतनी ठंडी तुम्हारे सेहत के लिए ठीक नहीं है। मेरी चिंता मत करना, जमना, पिघलना तो मेरी आदत है।  पत्ती नहीं मानी,  बोली- कुछ भी हो साथ ही रहूँगी ।  पारा थकते-थकते शून्य से भी नीचे जा गिरा। हर जगह बस सफ़ेद रंग की चादर दिखती। मानो प्रकृति ने सफ़ेद चादर ओढ़ ली हो।  जिसका परिणाम यह हुआ कि पत्ती भी बर्फ के गर्भ में धंस गयी। लेकिन साँस ले रही थी।  बर्फ़ बड़े गुस्से में था, लेकिन पत्ती को उस समय कुछ बोलने के बजाय उसकी जान बचाने में लग गया। बर्फ अपनी सारी साँसे पत्ती को बचाने में लगा दी। जब बसंत आया तो बर्फ़ पिघल

पीपल के झरोखे से :भाग १

चित्र
सादर प्रणाम !     आशा करता हूँ आप सकुशल होंगे तभी पढ़ने की हिम्मत जुटा पा रहे हैं। हमारे यहाँ पीपल का पेड़ काटने की परम्परा नहीं है , भगवान का वास माना जाता है। इनकी पूजा होती है । यह बात वैज्ञानिक रूप से भी मददगार है कि पीपल की लकड़ी के जलने से निकलने वाली गैस स्वास्थ्य के लिये अति हानिकारक होती है । परिणाम, पीपल के पेड़ों को कोई हाँथ नहीं लगाता है , और उनकी उम्र सैकड़ों साल हो जाती है । एक पेड़ अपने जीवन में मानव जीवन की अनेक पीढ़ियों का साक्षी बनता है । होने वाले बदलाओं को महसूस करता है । आदमी की विकास की गाथा का अमुक कथाकार होता है । ऐसे ही एक पेड़ की आवाज़ को शब्द देने का प्रयास कर रहा हूँ मैं ।  (करते करते स्याही ज्यादा खर्च हो गयी है, अग्रिम माफ़ी 🙏) आज के लोग बहुत ख़ुश दिख रहे हैं, लेकिन ये ख़ुश तभी दिखते हैं जब सबके साथ रहते हैं। असली में ख़ुश हैं, मुझे संदेह है । क्योंकि मेरी छाया में अकेले जब छहांते हैं तो इनकी अनकही पीढ़ा, मायूसी मैं पढ़ लेता हूँ । थोड़ी देर पहले का रंगीन चेहरा जैसे श्वेत-श्याम हो जाता है। वैसे चेहरे का रंग कैसे बदल सकता है ? ये तो मेरे साथ रहने वा

हर मन राम, हर घर रामायण

चित्र
राम राम जी 🙏! आप जानते ही होंगे कि किसके नाम का पत्थर तैरता है ? पत्थर भला कैसे तैर सकता है ? ...  कुछ नाम में हल्कापन होगा ? जी नहीं, वो नाम बहुत ही वजनी है । उस नाम के भार को और गहराई से समझने का समय आ गया है। ये भार कैसा है ? उत्तरदायित्व है उनके मानव रूप में आकर एक आदर्श मानव रूप को प्रस्तुत करने का । मानवीय मूल्यों को चरितार्थ करने हेतु स्वयं को तपाने का। ख़ुद का त्याग करने का । दिवाली मनाने से पहले १४ साल वनवास सहन करने की क्षमता का । ख़ुद से पहले दूसरों को रखने का । हर साँस को पर सेवा में समर्पित करने का । इस बात की गाँठ बाँधने का कि चाहे रावण कितना ही विद्वान, बलवान, स्वर्णवान क्यों न हो, मंशा मात्र का प्रदूषण उसका विध्वंस कर सकती है । अलख जगाने का कि हमारे आजीवन कर्मों में इतना दम हो कि अंतिम दम ‘हे राम’ कहने का दम भर सके । यह नाम हर रिश्तों को निभाने की एक बुनियाद है। चाहे वो पिता- पुत्र का हो, जहाँ कुल परम्परा की रक्षा के लिये वनवास रहना पड़े । या फिर भाई- भाई का ,जहाँ सिंहासन सहोदर भ्राता के आगे  तुच्छ हो जाता है । यहीं नहीं भरत भी खड़ाऊं से राज चलाकर अपने अभौतिकवादि

बहू भी बेटी जैसी: एपिसोड २- बाबा जी का सुझाव - सास दबंग, तुम और दबंग ।थोड़ा सम्हाल लो तो सब प्रसन्न।

चित्र
विवाह तय होने के बहुत रास्ते हैं।  अगर प्रेम विवाह हो तो लड़की की मर्ज़ी थोड़ी बहुत चल जाती है। लेकिन अरेंज मैरिज में बेचारी लड़की को फोटो भी शादी तय होने के बाद ही दिखाया जाता है।माता- पिता भला ही सोचते हैं । इसलिये पसंद-नापसंद करने की रंच मात्र भी गुंजाईश नहीं होती। फिर लड़की कल्पनाओं का संसार बुनती है , जो मिला है उसी में खुशियों के तराने तलाशती है। सकरात्मता की एक मिसाल है ये स्वीकारता। अगर कुछ कह दें तो सीधा मतलब बग़ावत से निकाला जाता है। वैसे अब माहौल कछुए की चाल से लोकतंत्र की ओर बढ़ रहा है ।       जैसा कि पिछले एपिसोड में आपने पढ़ा की लड़की की शादी अर्रेंज मैरेज के तहत अमली जामा पहनने वाली होती है , लड़की आगे आने वाले वैवाहिक जीवन को लेकर बड़ी चिंतित रहती है। उसके जेहन में  सेल वाले बैग की यादें ताजा रहती हैं। बहुत सम्हल के कदम रखना चाहती है।  ऐसे में उसकी एक सखी ने किसी ज्योतिषी से सलाह लेने की राय दी। ज्योतिषी महाशय नामी गिरामी हैं। उनके द्वारा की गयी भविष्यवाणियों के किस्से भी सुनाये। लड़की को आशा की लकीर दिखी और बाबा जी के चरणों में जा गिरी। भारत में कुंडली में  मन वां