उप-नामकरण के तारे
नमस्ते 🙏!
अगर आप यह कागज़ पढ़ पा रहे हैं तो स्वाभाविक है कि आप स्कूल , कॉलेज पक्का गये होंगे । जहाँ पर शुरू में मम्मी-पापा आपका जाँच-परख के दिये हुये नाम से दाख़िला कराते हैं । लेकिन जैसे-जैसे कॉलेज 🏛️ का काल-चक्र चलता जाता है , आपको एक नये नाम मिलने के योग बनते जाते हैं । जी हाँ, अगर आप अभी तक आकलन लगा पा रहें है इस पन्ने के विषय का तो मन-ही-मन शाबाश बोल लीजिये ।किसी भी रेकॉर्ड में न लिखे जाने वाले इस अटल नाम को मेरी भाषा में उपनाम कहते हैं । इस उपनाम की असली नाम से बड़ी सारी भिन्नतायें हैं । फिर भी ये दोनों एक ही आदमी के साथ आजीवन शांतिपूर्ण रहकर एक सुदृढ़ लोकतान्त्रिक व्यवस्था के जवलन्त उदाहरण का काम करते हैं।
असली नाम माता-पिता आपके जन्म के ग्रह-नक्षत्रों ☄★ के हिसाब से रखवाते हैं । उपयुक्त नाम रखने का उद्देश्य होता है कि इससे प्रेरित होके आप चाँद-मंगल पर जाने जैसा कुछ तूफ़ानी कर्म करें । उपनाम रखा जाता है आपके कर्मों के को देख कर । आपका व्यवहार ही आपके उपनाम के लिये तारा होता है ।
असली नाम में ज्ञानी पंडित जी की जरूरत होती है , उपनाम होता है कर्मणा जायते ब्राम्हण: वाले पण्डित जी के द्वारा । ये पण्डित जी आपकी हरकतों का बहुत दिन तक बारीकी और गुप्त रूप से अवलोकन करते रहते हैं , फिर अपने शरारत रूपी तरकश से उपनाम वाला तीर छोड़ देते हैं, जो कि आपको जीवन पर्यन्त भीष्म पितामह बना देता है ।
उपनाम में आपको पंडित जी के पास जाने की ज़रूरत नहीं होती है, आपका सामना स्वतः होता रहता है । मानिये विधि का विधान हो ।
जिस असली नाम को सुनकर-सुनकर कल तक इतराते थे , उपनाम ऐसा होता है कि शुरू में आप नज़र अन्दाज़ करते हैं । डर होता है कि उपनामकरण संस्कार में कोई और तो शामिल नहीं है? बात फैल न जाय । फिर पण्डित जी को समझ में आ जाता है कि यहीं नाम सटीक बैठेगा । और मिल जाता है आपको पण्डित जी का उपनाम रूपी आशीर्वाद जो आपका आजीवन साथी हो जाता है ।
उपनाम वाले पण्डित जी बड़े ही उदार और कृपालु प्रकृति के होते हैं । दक्षिणा के लिये कभी मुँह नहीं खोलते , बल्कि यजमान की मन ही मन सुनाये जाने वाली खरी-खोटी झेलते रहते हैं । मन ही मन क्यों? अगर पण्डित जी के सामने मुँह खोल दिया तो पण्डित जी तरकश से तीर नहीं , तीसरी आँख से ताप निकलता है।
कॉलेज के बाद भी अपको उपनाम से ही जाना जाता है । शादी में ये पण्डित जी निमंत्रण पे आ जायें, और आपको उपनाम से पुकार दें, लड़की के चाचा-ताऊ को शक हो जाता है कि नाम तो कार्ड से मेल नहीं खाता । कहीं गलत बारात का स्वागत तो नहीं कर दिये । धीरे-धीरे वैवाहिक जीवन में भी इसी नाम का प्रचलन हो जाता है । अक्सर आप मौनी बाबा बन जाते हैं जब इस उपनाम के तारे के बारे में मुन्ना -मुन्नी टॉफी खाते-खाते पूछ लेते हैं । सिलसिला चलता जाता है , आपका उपनाम आपके नाम पे हावी हो जाता है । असली नाम की यादें धुँधली होने लगती है । केवल प्रमाण पत्र देखते समय ही याद आता है । बड़ा ही भावुक 😭 समय होता है वो । बेचारा असली नाम वाला तारा भी पछता रहा होगा , क्यों था मैं इसके जन्म के समय उस जगह ?
कुछ अनुभव के आधार पर उदाहरण दूँ इन तारों का तो वे होंगे बड़ी- बड़ी डींगे हाँकना , कम नहना । विचित्र कपड़े पहनना । अजीब की हेयर स्टाइल । कोई ऐसी कहानी सुना देना कि पण्डित जी प्रसन्न होके आशीर्वाद रोक ना यें । हमेशा किताबी बातें करना ,इत्यादि अनंत तारे हैं उपनाम के ब्रम्हाण्ड के। कॉलेज से नामांकित डिग्री मिलने से पहले आपको उपनाम वाली मानद उपाधि मिल ही जाती है । अगर आपके अंदर ऐसी कोई विशेष प्रतिभा नहीं रही , तो उपनाम वाला चन्दन नहीं लग पाता है। तिलक न होने का तारों के अलावा एक और कारण है, आपके स्वभाव में बाहुबली वाले भल्लाल देव का होना। अगर आप महिष्मति से सम्बंध रखते हैं तो मैं अग्रिम क्षमा याचना करता हूँ , मुझे वहाँ मत खींच लीजियेगा ।
अगर उन दिनों को याद करूँ तो अपने आपको बड़ा ही प्रतिभा का धनी मानता हूँ । मुझे स्कूल में भी एक उपनाम मिला था और कॉलेज में भी । स्कूल में निमा, तारा था नीरू से घनिष्ट मित्रता और कॉलेज वाला मैं बता नहीं पाउँगा ।इसलिये नहीं कि मैं लजाधुर हूँ । ये उपनाम कॉपी राइट है किसी का , हाल ही में चुनाव हार कर मिट्टी में मिल गया है नाम । कॉलेज का तारा था-जरूरत से अधिक दाँत चियारना और रखने वाले मेड इन काशी के प्रख्यात पण्डे हैं । मेरे अधिकांश साथियों का उपनामकरण इन्ही के कमल-मुख से हुआ है। ख़ैर मेरा असली नाम तो मंगल के लिये रवाना होने वाला है ।अगर आपके भी तारे उपनाम योग्य रहे हों तो कॉमेंट में अपना उपनाम अज्ञात रूप से ही सही , जरूर लिखियेगा ।
मुझे लगता है कि कॉलेज का कल्चर यूनिवर्सल है । कोरिया में भी उपनाम संस्कार की परम्परा है । कोरिया में भी तारों का बोल-बाला है। 'बहू भी बेटी जैसी' की बहू शादी से पहले अपने तारे आज़माने एक ज्योतिषी के पास जाती है । उसको ज्योतिषी ने बड़ी ही रोमांचक बात बतायी। जानने के लिये फिर मिलेंगे ।
- नवीन (नि🔯🔯)
अगर आप यह कागज़ पढ़ पा रहे हैं तो स्वाभाविक है कि आप स्कूल , कॉलेज पक्का गये होंगे । जहाँ पर शुरू में मम्मी-पापा आपका जाँच-परख के दिये हुये नाम से दाख़िला कराते हैं । लेकिन जैसे-जैसे कॉलेज 🏛️ का काल-चक्र चलता जाता है , आपको एक नये नाम मिलने के योग बनते जाते हैं । जी हाँ, अगर आप अभी तक आकलन लगा पा रहें है इस पन्ने के विषय का तो मन-ही-मन शाबाश बोल लीजिये ।किसी भी रेकॉर्ड में न लिखे जाने वाले इस अटल नाम को मेरी भाषा में उपनाम कहते हैं । इस उपनाम की असली नाम से बड़ी सारी भिन्नतायें हैं । फिर भी ये दोनों एक ही आदमी के साथ आजीवन शांतिपूर्ण रहकर एक सुदृढ़ लोकतान्त्रिक व्यवस्था के जवलन्त उदाहरण का काम करते हैं।
असली नाम माता-पिता आपके जन्म के ग्रह-नक्षत्रों ☄★ के हिसाब से रखवाते हैं । उपयुक्त नाम रखने का उद्देश्य होता है कि इससे प्रेरित होके आप चाँद-मंगल पर जाने जैसा कुछ तूफ़ानी कर्म करें । उपनाम रखा जाता है आपके कर्मों के को देख कर । आपका व्यवहार ही आपके उपनाम के लिये तारा होता है ।
असली नाम में ज्ञानी पंडित जी की जरूरत होती है , उपनाम होता है कर्मणा जायते ब्राम्हण: वाले पण्डित जी के द्वारा । ये पण्डित जी आपकी हरकतों का बहुत दिन तक बारीकी और गुप्त रूप से अवलोकन करते रहते हैं , फिर अपने शरारत रूपी तरकश से उपनाम वाला तीर छोड़ देते हैं, जो कि आपको जीवन पर्यन्त भीष्म पितामह बना देता है ।
उपनाम में आपको पंडित जी के पास जाने की ज़रूरत नहीं होती है, आपका सामना स्वतः होता रहता है । मानिये विधि का विधान हो ।
जिस असली नाम को सुनकर-सुनकर कल तक इतराते थे , उपनाम ऐसा होता है कि शुरू में आप नज़र अन्दाज़ करते हैं । डर होता है कि उपनामकरण संस्कार में कोई और तो शामिल नहीं है? बात फैल न जाय । फिर पण्डित जी को समझ में आ जाता है कि यहीं नाम सटीक बैठेगा । और मिल जाता है आपको पण्डित जी का उपनाम रूपी आशीर्वाद जो आपका आजीवन साथी हो जाता है ।
उपनाम वाले पण्डित जी बड़े ही उदार और कृपालु प्रकृति के होते हैं । दक्षिणा के लिये कभी मुँह नहीं खोलते , बल्कि यजमान की मन ही मन सुनाये जाने वाली खरी-खोटी झेलते रहते हैं । मन ही मन क्यों? अगर पण्डित जी के सामने मुँह खोल दिया तो पण्डित जी तरकश से तीर नहीं , तीसरी आँख से ताप निकलता है।
कॉलेज के बाद भी अपको उपनाम से ही जाना जाता है । शादी में ये पण्डित जी निमंत्रण पे आ जायें, और आपको उपनाम से पुकार दें, लड़की के चाचा-ताऊ को शक हो जाता है कि नाम तो कार्ड से मेल नहीं खाता । कहीं गलत बारात का स्वागत तो नहीं कर दिये । धीरे-धीरे वैवाहिक जीवन में भी इसी नाम का प्रचलन हो जाता है । अक्सर आप मौनी बाबा बन जाते हैं जब इस उपनाम के तारे के बारे में मुन्ना -मुन्नी टॉफी खाते-खाते पूछ लेते हैं । सिलसिला चलता जाता है , आपका उपनाम आपके नाम पे हावी हो जाता है । असली नाम की यादें धुँधली होने लगती है । केवल प्रमाण पत्र देखते समय ही याद आता है । बड़ा ही भावुक 😭 समय होता है वो । बेचारा असली नाम वाला तारा भी पछता रहा होगा , क्यों था मैं इसके जन्म के समय उस जगह ?
कुछ अनुभव के आधार पर उदाहरण दूँ इन तारों का तो वे होंगे बड़ी- बड़ी डींगे हाँकना , कम नहना । विचित्र कपड़े पहनना । अजीब की हेयर स्टाइल । कोई ऐसी कहानी सुना देना कि पण्डित जी प्रसन्न होके आशीर्वाद रोक ना यें । हमेशा किताबी बातें करना ,इत्यादि अनंत तारे हैं उपनाम के ब्रम्हाण्ड के। कॉलेज से नामांकित डिग्री मिलने से पहले आपको उपनाम वाली मानद उपाधि मिल ही जाती है । अगर आपके अंदर ऐसी कोई विशेष प्रतिभा नहीं रही , तो उपनाम वाला चन्दन नहीं लग पाता है। तिलक न होने का तारों के अलावा एक और कारण है, आपके स्वभाव में बाहुबली वाले भल्लाल देव का होना। अगर आप महिष्मति से सम्बंध रखते हैं तो मैं अग्रिम क्षमा याचना करता हूँ , मुझे वहाँ मत खींच लीजियेगा ।
अगर उन दिनों को याद करूँ तो अपने आपको बड़ा ही प्रतिभा का धनी मानता हूँ । मुझे स्कूल में भी एक उपनाम मिला था और कॉलेज में भी । स्कूल में निमा, तारा था नीरू से घनिष्ट मित्रता और कॉलेज वाला मैं बता नहीं पाउँगा ।इसलिये नहीं कि मैं लजाधुर हूँ । ये उपनाम कॉपी राइट है किसी का , हाल ही में चुनाव हार कर मिट्टी में मिल गया है नाम । कॉलेज का तारा था-जरूरत से अधिक दाँत चियारना और रखने वाले मेड इन काशी के प्रख्यात पण्डे हैं । मेरे अधिकांश साथियों का उपनामकरण इन्ही के कमल-मुख से हुआ है। ख़ैर मेरा असली नाम तो मंगल के लिये रवाना होने वाला है ।अगर आपके भी तारे उपनाम योग्य रहे हों तो कॉमेंट में अपना उपनाम अज्ञात रूप से ही सही , जरूर लिखियेगा ।
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मंगल जाने का मेरा बोर्डिंग पास -NASA के सौजन्य से |
मुझे लगता है कि कॉलेज का कल्चर यूनिवर्सल है । कोरिया में भी उपनाम संस्कार की परम्परा है । कोरिया में भी तारों का बोल-बाला है। 'बहू भी बेटी जैसी' की बहू शादी से पहले अपने तारे आज़माने एक ज्योतिषी के पास जाती है । उसको ज्योतिषी ने बड़ी ही रोमांचक बात बतायी। जानने के लिये फिर मिलेंगे ।
- नवीन (नि🔯🔯)
Mast hai bhai
जवाब देंहटाएंThank you Dear Arun Sir 🙏.
हटाएं🙏🙏🙏क्या बात हैं
हटाएंbe Continuing...
Itna saara Kaise soch lete ho
जवाब देंहटाएं🙏. Sir Flash back me jake , Jo dekha tha wahi likha gaya. Jyada socha nahi pata hai.
हटाएंA1
जवाब देंहटाएंThank you 🙏.
हटाएंवाह रे लजाधुर,,,, कलम तो बची फ्रैंक है। अच्छा लिखा है आपने।।
जवाब देंहटाएंबची नहीं बड़ी
हटाएंप्रणाम 🙏, कलम के सराहने के लिये धन्यवाद ।
हटाएंToffey
जवाब देंहटाएंहाहाहा । तारे और पण्डित जी ?
हटाएं🙏 Thank you .
जवाब देंहटाएंGreat one. Sare upnam yaad hai ya ek do bhool Gaye.
जवाब देंहटाएंनमस्कार भाई ! सारे याद हैं, १० में अलग, १२ में अलग । लेकिन यहाँ पर शब्द-सीमा को ध्यान में रखते हुये एक ही लिखा हूँ ।
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