बहू भी बेटी जैसी : एपिसोड १- बहू , बेटी और बैग

नमस्ते 🙏!
 मेरे ग वाले पहले पोस्ट को हाँथों हाँथ लेने के लिये भारी भरकम आभार।अहसास हुआ कि काशी के इस देसी कागज के ग्लोबल व्यूज़ 👁️👁️भी हो सकते हैं । कुछ अग्रजों ने तो बोला कि वे अगली कड़ी का इंतज़ार करेंगे। इससे आकांक्षाओं के दबाव में कलम थोड़ी गाढ़ी हो गयी है । प्रयास कर रहा हूँथोड़ा सम्भाल लीजियेगा।


  जिस किताब का ज़िक्र मैंने किया था, उसका केंद्र बिंदु है सास-बहू। किताब के कुछ पन्ने पढ़ते समय स्मृति इरानी वाला क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ याद आ गया। कहानी रोचक लगी इसलिये पढ़ाई जारी हैलेकिन इस मेड-इन-काशी के तख़्ते पर केवल वहीं विषय येंगे जो भारतीय रस्मों रिवाजों से मेल खाते हैं।बेमेल की चीज़ें बताके आपके दिमाग से अनायास कसरत नहीं कराऊँगा।प्रयास रहेगा कि आप तक भावनायें पहुँचे,महज अनुवाद नहींऔर बीचबीच में होगा मेरे हलके पॉवर वाला चश्माजो कि समाज को देखदेख के लगा हैन कि पोथी पढ़पढ़ के।
दक्षिण कोरिया , Bucheon; एक प्रीमियम मॉल के बाहर  
  कहानी दो मध्यम वर्गीय परिवारों की है। लड़की की शादी एक अति सभ्य परिवार में हो जाती है।वर पक्ष इतना सभ्य है कि खाना दाँत से कूँच के खारहे हैं या जीभ से पीसकरपता ही नहीं चलतामुँह हिल जाये तो मानिए अति सभ्य से सीधे चापुर चापुर खाने वाले गँवार होने का प्रमाण पत्र पा जायेंसही भी हैकोई और प्रमाण पत्र हो तो कुछ बात भी बनेगँवार का प्रमाण पत्रकोई आवेदन ही नहीं करना चाहेगाऐसी तहज़ीब वाले ससुराल में एक अत्यंत खुलीआधुनिक विचारों की बहु कैसे संतुलन बना पाती है, या नहीं बना पाती है उसी की कहानी है ये
 शादी अरेंज मैरिज वाले तर्ज़ पर तय हो गयी है।लड़का लड़की दोनो कमाने वाले हैं। लड़का शादी से पहले एक कार खरीदने का प्लान करता है।लड़की सोचती है कि शादी के बाद मुझे भी इसी कार में जाना होगा तो कुछ अपने पैसे जोड़कर थोड़ी अच्छी गाड़ी खरीदवा देती है। सासु माँ को पता चलता है,  सोचती हैं बहू ने तो दिल गदगद कर दिया है। उसके लिये भी कुछ किया जाये।होने वाली बहु से अच्छी रैपो बनाने का एक मौक़ा मिलाअगले दिन अपनी बेटी के साथ एक प्रीमीयम मॉल में पहुँच जाती है। भावी बहू को बैग तौफ़े में देने का मन बनाती हैं। बैग की शॉप से बहु कोजो कि ऑफ़िस में हैफ़ोन घुमाती हैं।
सासु माँतुम्हारे लिये बैग खरीदने आयी हूँ । बेटा कौनसा  कलर पसंद है?
लड़की सोची अभी तो बहुत सारे पर्स धूल खा रहे हैं, जरुरत तो नहीं थी । फिर अब दुकान में आ ही गयीं हैं तो...
लड़कीनेवी ब्लू
सासु माँक्या? ..बेज?
लड़कीनहीं मम्मी जी,नेभी ब्लूउउउ..
सासु माँ-अच्छाबेजठीक है बेटा
सासु माँ को अपने मन की करनी थी या सही में नेटवर्क नहीं थाया मॉल में कोलाहल ज्यादा थावैसे कोरिया में अधिकतर जगहों पे गहरे सागर वाला सन्नाटा रहता हैकोई हमारे जैसे भीड़ भाड़ वाले देश की कोलाहल नदी आ जाये तो उसको सागर अपनी गहराई में दबोच लेता है। शुरू में
मुझे भारत की अदात थी, जहाँ ट्रेनबससड़कचाय की दुकानयत्र-तत्र-सर्वत्र आदमी अपने बगल वाले आदमी से पूछ ही लेता हैऔर कहाँ से हैंफिर तो...
 ख़ैरअगले दिन कोरिया की रॉकेट डिलीवरी से बैग लड़की को मिलता है।लड़की बड़े ही उत्साह के साथ माताजी का पहला गिफ़्ट खोलती है।निकलता है एक बैगबेज कलर का ।लड़की को रास नहीं आता हैरसीद के पते वाली शॉप पे बैग बदलने के लिये जाती है।वहाँ पर उसको जो बैग मन भाये उसपे सेल्स मैन अतिरिक्त पैसा देने के लिये बोले।बहुत माथा पच्ची करने के बाद सेल्समैन से और झेला नहीं गया। 
सेल्समैन-माताजी आपको जो बैग भेजी हैं वो सेल में लास्ट पीस था। दूसरे सारे फ़्रेश अराइवल हैंअगर बदलना है तो पैसे लगेंगे। 
लड़की के पास बहुतेरे पहले से ही थेमन मार के वापस जाही रही थी की सेल्समैन ने आग में घी डाल दिया -
अपनी बेटी के साथ आयीं थीं आपकी माताजीउसके लिये न्यू अराइवल वाले से दिलाईं। 


मन थोर हो गया बेचारी कापहला उपहार थाउसके लालसा का उपहास बन गया बड़े सारे सवालों और बेपसंद बैग को लेकर घर वापस चली गयी अगर केवल बहू के लिये सेल का बैग खरीदतीं तो समझ सकती थी वोलेकिन उसी दुकान सेउसी समय बेटी के लिये महँगाउसकी पसंद का बैग खरीद के उन्होंने जो पक्षपात किया वो लड़की को बोध कराया कि समाज में बहू को बेटी जैसी क्यों बोलते हैंबेटी क्यों नहीं ये जैसी’  शब्द ही सब फ़सादों की जड़ है।तभी तो बहू का ओहदा सेल वाले बैग की तरह है और बेटी एकदम फ़्रेश अराइवल बैग की तरह


अगर आप यहाँ तक पढ़ ले गये तो अपने प्रयासों को सार्थक समझूँगा और आपको धन्य। करबद्ध निवेदन-आप बहू के लिये भी बेटी वाला ही थैला ख़रीदियेगा। क्योंकि बेटी को भी सेल वाला बैग मिल सकता है। इस पक्षपात की रीले रेस को तोड़ियेअगले धावक को एक अच्छा बेटन विरासत में दीजिये
फिर मिलेंगेबनारसी पर्दे पर कोरियन ड्रामा की अगली कड़ी के साथ
-नवीन

टिप्पणियाँ

  1. दुखती रग को छू लिया आपने। अत्यंत रुचिकर। आगे का एपिसोड पढ़ने की जिज्ञासा बढ़ गई। धन्यवाद

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    1. आपको पसंद आया, मेरा प्रयास सार्थक हो गया ।विचार व्यक्त करने के लिये आभार 🙏।

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