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हाथ मरुधर को भी जीवन्त कर दे साथ पतझड़ में भी बसन्त भर दे।

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चित्र साभार: गीता सिंह हाथ मरुधर को भी जीवन्त कर दे साथ पतझड़ में भी बसन्त भर दे। शब्दों की सजने की तिश्नगी देख वो मयूर अक्षर-अक्षर पंख दिगन्त भर  दे। सफ़ेद पन्नों पे स्याह रोशनाई  वो बीच कहानी में रंग अनन्त भर दे। ज़माना मगन है जिस दिल से खेलने में  वो ख़ालिस दिल में जोश ज्वलन्त भर दे। राह काँटों का ‘निरीह’ मुसाफ़िर  उसकी मुंतज़िर पलकें सबके अन्त भर दे। -काशी की क़लम

Hi Tech दक्षिण कोरिया में पुस्तकें और पुस्तकालय। गूँज ने पाया एक नया आशियाना।

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सादर प्रणाम, नवाचार (इन्नोवेशन) की दुनिया का शिखर दक्षिण कोरिया।  क्या लगता  है,  कोरिया एड़ी से चोटी तक डिजिटल यंत्रों में डूबा होगा ? होटल में खाना रोबॉट बना रहे होंगे? साफ़-सफ़ाई के लिए रोबोट होंगे? गाड़ियों अपने आप चल रही होगी? विद्यालय में बुक्स (पुस्तकों) की जगह ई-बुक्स होंगी ? ऐसे  आकलन  सैमसंग(Samsung), एल॰जी॰(LG) जैसी कम्पनियों के देशवसियों के बारे में लाज़मी हैं।  ये आकलन  बहुत हद तक सही भी हैं। यह देश डिजिटल का ही है। विज्ञान और तकनीक की रोटी खाने वाला देश। तकनीक का आत्मसात् इतना कि अब काल्पनिक अवतारों का भी सत्कार होने लगा है। कभी न पैदा होने वाले ये डिजिटल अवतार यहाँ के अमिताभ बच्चन और दीपिका पादुकोण बन गए हैं। इन शख़्सियतों में आस्था इतनी कि ये कई व्यवसायों के ब्राण्ड ऐम्बैसडर तक बन चुके हैं। ये चेहरे किसी माँ के गर्भ नहीं बने। इनका चेहरा कई वास्तविक चेहरों से नक़ल करके बनाया गया है। माथा किसी का, कान, नाक, आँख किसी और के! चेहरा मतलब कॉकटेल। इनके जनक-कम्प्यूटर डिज़ाइनर-अपने मनपसन्द विर्चुअल आदमी-औरत गढ़ सकते हैं। मतलब आदमी भगवान बनने के क़रीब पहुँच गया है ! इसका अगला क़दम कही