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जमने के रास्ते :गांधी या आँधी

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अगर कभी आपने पशुओं के व्यवहार का अवलोकन किया हो तो इस पन्ने पर अंकित संदेश आप तक आसानी से पहुँच जायेगा । अगर नहीं कर पाये हों तो और आसानी से समझ में आ जायेगा क्योंकि तब आपने चौपाये से अधिक दोपाये मानव का अवलोकन किया होगा। चौपाये किसी के घर पर हों तो बड़े परस्पर के साथ रहते हैं।  गाय, भैंस ,बकरी इत्यादि एक ही मालिक के घर बड़े ही सौहार्द्र के साथ रहते हैं। अब अगर मालिक को इनमें से किसी भी प्रजाती का एक और लाना पड़ जाये तो बाकी सब जो पहले से ही बंधे हैं, को थोड़ा खल जाता है। मालिक से नहीं। उससे रंज होके चारे का मोहताज़ थोड़े ही नहीं होना है। वो खफ़ा होते हैं आने वाले नये सदस्य से। भले ही नया वाला खाली खूंटे पर आ गया हो , उसकी नाद अलग हो, पगहा नया आया हो । सांड़ में भाँड़ न बना हो तब भी इनको तकलीफ हो जाती है। आख़िर क्यों होती है ये दिक्कत ? ये तो पशु हैं , आप-आप ही चरने वाले हैं।  पहले से लेकर अंतिम तक अपने में ही डूबे रहते हैं  इत्यादि थोड़ा बहुत आकलन किया जा सकता है इस व्यव्हार के कारण का । नये वाले को सिंग मरना ,होंफना ,डरा कर रखना...

रेलीय अखाड़ा , रुमाली दाव !

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नमस्ते !  कोरिया का सार्वजनिक यातायात तंत्र बेहद ही अच्छा और उपयोगी  है।एक तरफ जहाँ मेट्रो ट्रेनें इस तंत्र की रीढ़ की हड्डी हैं , वहीं पर बसें भी कोने-कोने तक लोगों को ढोने वाली पसलियाँ ।  मेट्रो और बसों  का आपस में करार है की वो अपने यात्रियों  की मिलकर सेवा करेंगे।  कुल मिलाकर एक यात्रा का एक ही टिकट काटेंगे । सीओल मेट्रो विश्व की  चुनिंदा और बेहतरीन मेट्रो सेवाओं में से एक है।  रद्द होना , देर से आना  इत्यादि आलसी और  लापरवाह काम नहीं करती है।  अब बात कि  रेल में कितनी भीड़ होती है ? तो अगर मैं ये बोलूँ कि मेट्रो की भीड़ पीक टाइम पे उतनी ही होती है, जितनी की हमारे यहाँ दीवाली में स्लीपर क्लास में होती है, तो थोड़ी सी अतिशयोक्ति हो जायेगी। ये पीक टाइम होता है सुबह और शाम ऑफिस वाला। कम समयांतराल पर ट्रेनें होना भी कम भीड़ का कारण है । भीड़ कितनी ही क्यों न हो , लोग कतार  में ही चढ़ते और उतरते  हैं।  कभी भी एक-दूसरे को धक्का  देते हुए मैंने किसी को नहीं देखा। Subway Station in ...