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सैंकड़ों साल पहले...

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(आज से सौ साल बाद, 2120 में ऐसी कहानी लोग पढ़ेंगे) राम और श्याम दो जिगरी दोस्त थे। राम बड़ा ही संजीदा और सजग रहने वाला इंसान था। स्वयं, परिवार, रिश्तेदारी या पास-पड़ोस में कहीं कुछ गड़बड़ न हो जाए, हमेशा सावधान रहता था। अगर कुछ हो भी गया, उससे घबराता नहीं था, बल्कि समय रहते डटकर मुक़ाबला करता। सजगता उसको पहले तो मुश्क़िल में पड़ने नहीं देती थी, ख़ुदा-न-ख़ास्ता अगर मुसीबत आ भी गई, तो वो लड़कर और मज़बूत उभर जाता।  श्याम भी सजगता के मामले में राम से रत्ती भर भी कम न था, लेकिन वह तब तक सुध नहीं लेता, जब तक पानी नाक न छू जाए। वो समस्या को स्वीकारने में देर करता। मुसीबत को नाम देने से कतराता। ‘समय के साथ चीजें ठीक हो जाती हैं’ के कथन का असमय दोहन करता था। कई बार भाग्य साथ देता, पर कुछ एक बार वह मुँह की भी खाता।  २०१९ में एक कोरोना नामक भयंकर सांक्रामक महामारी फैली। पूरा संसार त्राहि-त्राहि कर उठा। इसने  किसी न किसी रूप में सबको छुआ। हाथ धोना, २ गज़ की दूरी, नाक-मुँह मास्क से ढँकने, इत्यादि के अलावा दूसरा कोई कारगर उपचार न था। कवच-कुण्डल ही चिकित्सा थी।  दोनों दोस्तों-राम और श्याम-के पड़ोस में भ