अधूरा प्रेम (हॉरर): समय के समर में दूर खड़े दो प्रेम और अपने सच्चे प्रेम की प्रतीक्षा करती एक लड़की की कहानी ...
प्रेम गाँव में इंटरमीडिएट की पढाई पूरी करने के बाद बनारस विश्वविद्यालय में प्रवेश लेना चाहता था। प्रेम का दिमाग़ जितना तेज़ था, उससे भी अधिक प्रभावशाली और आकर्षक उसका व्यक्तित्व था। बहुत सारी लड़कियाँ उसपर अपनी जान छिड़कने के लिए तैयार बैठी रहती थीं, लेकिन उसका पूरा ध्यान पढ़ाई पर ही था। उसको परिवार वालों के मन से ही विवाह करना था, तो वो कभी भी इन सब चक्करों में पड़ा ही नहीं। उसका मानना था कि जिस गली में जाना नहीं, उसका रास्ता क्यों पूछना ? प्रवेश परीक्षा में पास होकर प्रेम को अपने मनचाहे विश्वविद्यालय में प्रवेश मिल चुका था। गाँव दूर था,तो उसको छात्रावास में रहना पड़ा। उसको छात्रावास में आये अभी कुछ दिन ही हुए थे। एक कमरे में दो लोग रहते थे। समर उसका दूसरा रूम पार्टनर था। समर की शारीरिक संरचना भी प्रेम से तनिक कम नहीं थी। समर बजरंग बली का भक्त था। नित्य सुबह नहा-धोकर पूजा-पाठ से दिन की शुरुआत करता था। अगरबत्तियों की सुगंध ऐसी थी कि आस-पास के रूम के लोग भी उसी सुगन्ध को अलार्म के रूप में मानते थे। सुगंध आ गई, मतलब...