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अवसाद (Depression) :एक अछूत और गुमनाम

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सादर प्रणाम ,   शब्दों की अपनी ऊर्जा होती है , इसलिए कभी भी आपको ऊर्जा से दूर करने वाले शब्द-प्रयोग से मैं बचना चाहता हूँ।  लेकिन आज का विषय ऊर्जा की कमी से ही होता है। यह विषय जीवन के अति सूक्ष्म पहलुँओं में से एक है ,और भगवान न करें किसी को ये पहलू छुये । फिर भी अगर छू गया तो इसके विषय में अनभिज्ञता भयंकर हो सकती है । अवसाद: अंतस जलता है , बाहर कुछ और ही दिखता है ।     अवसाद के लक्षण: वैसे तो अगर आदमी को किसी प्रकार का दर्द हो तो वो डॉक्टर को  साफ-साफ बता देता है कि मुझे यहाँ कष्ट है। और डॉक्टर साहब उसका उपयुक्त इलाज़ करते हैं । लेकिन एक ऐसी स्थिति आती है जब आदमी को ख़ुद ही नहीं पता चलता है कि उसको हुआ क्या है ? मन अशांत होता है। धड़कने हमेशा सामान्य की तुलना में तेज होती है। शरीर को चलाने के लिये भोजन ऊर्जा देता है लेकिन असली में देंह डोलती है दिमाग से। इस समय दिमाग अपनी क्षमता के निम्न स्तर पर काम करता है। पहले जो काम आसानी से हो जाते थे , उनको करने में मुश्किलें आती हैं। ऐसा लगता है कि आदमी कुछ दिनों के लिए अपनी पहचान भूल गया है। अपनी क्षमताओं को खोज रहा है। हनुमान जी