तुम फिर याद आए…, इरफ़ान ख़ान

आजकल प्लानिंग का ज़माना है। मेहमान भी पूछ कर या बता कर आते हैं। वो कौए अब न रहे जो मेहमानों के आने की आहट देते थे। बच्चे पैदा एक निर्धारित समय पे हो रहे हैं। पहले जन्म के समय ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति भाग्य को प्रभावित करते थे। अब जन्म भी अनुकूल ग्रह-नक्षत्रों के हिसाब से हो रहे हैं। मृत्यु। अब मृत्यु की भी प्लानिंग होने लगी है। प्लानिंग के इस दौर में कैसा लगता है जब कुछ अप्रत्याशित होता है! हमें भी कुछ ऐसा ही लगा था। हाल ही में हम एक दुकान में अपने ऑर्डर की प्रतीक्षा कर रहे थे। दीवार पे चल रही टीवी से कोई जाना-पहचाना चेहरा बार-बार झाँके जा रहा था। मेरी यादाश्त पे दस्तक़ हो रही थी। हॉलीवुड की मूवी थी,पर मेरी पहचान से परे। पता चला ‘लाइफ़ ऑफ़ पाई’ के एक्टर सूरज शर्मा जी हैं। तभी इरफ़ान ख़ान जी भी बड़ी-बड़ी, गहरी आँखों से झाँक रहे थे। उनकी उम्दा अदाकारी, संवेदनशील शख़्सियत, सब ताज़ा हो गईं। उनका बेवक़्त दुनिया से रुख़्सत होना एक व्यक्तिगत क्षति थी। उनके जाने पे कुछ शब्द छलके थे। उनको साझा कर रहा हूँ। रिपीट है, पर उभर आया है, तो कृपया एक बार और पोंछ दीजिए। सिनेमा का एक तारा जो टूट गया,...