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आऊँगा मैं अयोध्या, भारत में यदि रामराज्य है( कविता)

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 जय श्री राम, अभी मर्यादा पुरुषोत्तम, रघुकुल शिरोमणि, दशरथ नंदन, सियावर श्री राम चन्द्र जी अयोध्या जी में आ गए हैं। सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड हर्ष और उल्लास से झूम रहा है। ऐसे में मैंने भारत की सड़कों, गली-मोहल्लों को राम के आने का उत्सव मनाते देखा। उत्सव का यह बहुत बड़ा कारण भी है। मैं प्रयागराज से बनारस जा रहा था। हर किलोमीटर पर पाण्डाल, भण्डारे और DJ. उनपे नाचते-झूमते लोगों को देखकर मुझे बहुत साल पहले सरस्वती पूजा के एक जुलूस की घटना याद आ गई। उसमें भी ऐसे ही DJ बज रहा था। सड़क एकदम जाम करके झूमते-झामते कारवाँ आगे बढ़ रहा था। उनके पीछे भी गाड़ियाँ थीं, वीणावादिनी के बहरे भक्तों को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ रहा था। मैं उनसे एक किनारे होने के लिए कहा। तब पता चला कि ये पुजारी तो नशे में धुत हैं। सरस्वती से इनका कोई वास्ता नहीं था। ये साल में एक बार चंदा इकट्ठा करते हैं। बलभर पीते हैं और नाचते-गाते हैं, फिर एक साल के लिए सरस्वती माँ का विसर्जन कर आते हैं। पता नहीं क्यों उस दिन राम के आने के उत्सव में झूमते लोगों में भी मुझे सरस्वती जी के वैसे ही नक़ली, पाखण्डी उपासक लगे। यह मेरे अवलोकन की भूल भी हो